RBI Extends Card Tokenisation Deadline: RBI ने कार्ड टोकनाईजेशन लागू होने के डेडलाइन को बढ़ाया
RBI Extends Card Tokenisation Deadline: आरबीआई ने 1 जनवरी 2022 से लागू होने जा रहे कार्ड टोकनाईजेशन डेडलाईन को 30 जून 2022 तक के लिये एक्सटेंड कर दिया है.
RBI Extends Card Tokenisation Deadline: आरबीआई ने 1 जनवरी 2022 से लागू होने जा रहे कार्ड टोकनाईजेशन डेडलाईन को 30 जून 2022 तक के लिये एक्सटेंड कर दिया है. नया नियम अब 30 जून 2022 के बाद लागू होगा. 30 जून के बाद सभी ऑनलाईन पोर्टल ले लेकर ट्रेडर्स को कस्टमर के कार्ड का डाटा डिलिट करना होगा. आरबीआई ने सभी पेमेंट सिस्टम्स को ये आदेश जारी कर दिये हैं. दरअसल डिजिटल पेमेंट कंपनियों Merchant Payments Alliance of India (MPAI) और Alliance of Digital India Foundation (ADIF) ने नए नियम को लेकर चिंता जताते हुए नियम लागू होने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी.
देश में बढ़ते डिजिटल उपयोग में वृद्धि के साथ, अधिक से अधिक लोग होटल, दुकान या कैब बुक करने के लिए ऑनलाइन भुगतान का उपयोग कर रहे हैं. लेकिन डिजिटल दुनिया साइबर अपराधी उपयोगकर्ताओं के Data हथियाने के ताक में बैठे रहते हैं. लोगों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने और ऑनलाइन भुगतान को सुरक्षित बनाने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी व्यापारियों और भुगतान गेटवे को डेबिट और क्रेडिट कार्ड डिटेल्स जो उसहेजे गए हैं, उनको हटाने के लिए कहा है.
इसका क्या मतलब है?
आरबीआई के Card Tokenisation Rules के लागू होने के बाद मर्चेंट और पेमेंट गेटवे को अपने सर्वर पर स्टोर की गई कस्टमर के कार्ड का डाटा डिलीट करना होगा. इसका मतलब है कि उपयोगकर्ता को मर्चेंट वेबसाइटों पर भुगतान करने के लिए कार्ड का पूरा विवरण दर्ज करना होगा. बैंकों ने अपने ग्राहकों को इन बदलावों के बारे में बताना शुरू कर दिया था. एचडीएफसी अपने ग्राहकों को SMS भेजकर बता रहा था कि उन्हें या तो पूर्ण कार्ड विवरण दर्ज करना होगा या टोकन का विकल्प चुनना होगा.
टोकनाइजेशन क्या है?
मौजूदा नियम के मुताबिक, लेन-देन पूरा 16-डिजिट कार्ड नंबर, कार्ड की एक्सपाईरी डेट, सीवीवी और वन-टाइम पासवर्ड या ओटीपी (कुछ मामलों में लेनदेन पिन भी) आधारित होता है. टोकनाइजेशन वास्तविक कार्ड नंबर को एक वैकल्पिक कोड के साथ बदलने को क्षमता रखता है, जिसे “टोकन” कहा जाता है.
टोकनाइजेशन कैसे सुरक्षित है?
आरबीआई के अनुसार, टोकनयुक्त कार्ड लेनदेन को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि ट्रांजैक्शन के दौरान वास्तविक कार्ड विवरण व्यापारी के साथ साझा नहीं किया जाता है. इसमें कस्टमर्स के कार्ड का डिटेल सेव नहीं किया जा सकता है. आरबीआई के मुताबिक टोकन को
वापस वास्तविक कार्ड विवरण में बदलने को डी-टोकनाइजेशन के रूप में जाना जाता है. ग्राहक को इस सेवा का लाभ उठाने के लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा.