Retail Inflation Concern: RBI टोलरेंस लेवल के नीचे खुदरा महंगाई दर को रखने में रहा नाकाम, अब सरकार को देनी होगी सफाई
RBI On Inflation: आरबीआई को केंद्र सरकार को रिपोर्ट देकर उसका कारण और महंगाई को रोकने के लिये उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी.
Inflation Data: सितंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 7.41 फीसदी रहा है. बीते नौ महीनो से लगातार महंगाई दर आरबीआई के टोलरेंस लेवल के ऊपर बना हुआ है. जिसे लेकर आरबीआई को अब सरकार को सफाई देनी होगी. भारतीय रिजर्व बैंक को अब केंद्र सरकार को रिपोर्ट देकर इसका विस्तार से कारण बताना होगा. रिपोर्ट में यह बताना होगा कि महंगाई को टोलरेंस लेवल में क्यों नहीं रखा जा सका और उसे काबू में लाने के लिये क्या कदम उठाये जा रहे हैं.
रिजर्व बैंक एक्ट के तहत अगर महंगाई दर के लिये तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाही तक हासिल नहीं किया गया है, तो आरबीआई को केंद्र सरकार को रिपोर्ट देकर उसका कारण और महंगाई को रोकने के लिये उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी. 2016 में मौद्रिक नीति रूपरेखा के प्रभाव में आने के बाद से यह पहली बार होगा कि आरबीआई को रिपोर्ट के जरिये सरकार को अपने कदमों के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी.
केंद्र सरकार की तरफ से रिजर्व बैंक को मिली जिम्मेदारी के तहत आरबीआई को खुदरा महंगाई दर 2 से 4 फीसदी पर बनाये रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. अब मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के सचिव को आरबीआई अधिनियम के तहत इस बारे में चर्चा के लिये एमपीसी की अलग से बैठक बुलानी होगी और रिपोर्ट तैयार कर उसे केंद्र सरकार को भेजना होगा. मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर चर्चा करती है.
मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की एक दिन की बैठक दिवाली के बाद कभी भी हो सकती है. फिलहाल आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी आईएमएफ और विश्वबैंक की बैठकों में भाग लेने के लिये अमेरिका गए हुए हैं. पिछले महीने, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि मुद्रास्फीति लक्ष्य में चूक को लेकर केंद्र को भेजे जानी वाली रिपोर्ट दो पक्षों के बीच का गोपनीय मामला है और इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
अगर मुद्रास्फीति औसतन लगातार तीन तिमाहियों तक निर्धारित ऊपरी सीमा से अधिक या निचली सीमा से नीचे रहती है, तो इसे आरबीआई की तरफ से महंगाई को निर्धारित दायरे में रखने को लेकर मिली जिम्मेदारी में चूक माना जाएगा. केंद्रीय बैंक महंगाई को काबू में लाने के लिये मई से ही नीतिगत दर में वृद्धि कर रहा है. उसने अबतक पॉलिसी रेट में 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी की है जिससे रेपो दर 5.9 फीसदी पर जा पहुंची है.
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