Raghuram Rajan on Adani Group: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अडानी ग्रुप से जुड़े मामले में बाजार नियामक सेबी पर कुछ सवाल खड़े किए हैं. रघुराम राजन ने अभी तक मॉरीशस स्थित संदिग्ध फर्मों के स्वामित्व के बारे में कोई पड़ताल नहीं करने पर भारतीय शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में जो कहा गया उसकी जांच करने की सेबी ने जरूरत क्यों नहीं समझी गई, ये मुद्दा बड़ा है.


रघुराम राजन ने मॉरीशस की फर्मों का किया जिक्र


रघुराम राजन के मुताबिक, मॉरीशस स्थित इन चार फंडों के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने 6.9 अरब डॉलर फंड का करीब 90 फीसदी अडानी ग्रुप के शेयरों में ही लगाया हुआ है. इस मामले में कोई जांच नहीं किए जाने पर उन्होंने सवाल किया कि क्या सेबी को इसके लिए भी जांच एजेंसियों की मदद की जरूरत है? मॉरीशस स्थित एलारा इंडिया अपॉर्चुनिटी फंड, क्रेस्टा फंड, एल्बुला इनवेस्टमेंट फंड और एपीमएस इनवेस्टमेंट फंड फर्जी कंपनी होने के आरोप लगने के बाद पिछले दो साल से संदेह के घेरे में हैं. ये कंपनियां इसी जनवरी में दोबारा चर्चा में आ गईं जब अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि अडानी ग्रुप ने अपने शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए फर्जी कंपनियों का सहारा लिया. हालांकि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को बार-बार खारिज किया है.


नियामकों को अपना काम करने देने का मुद्दा- रघुराम राजन


रघुराम राजन ने भाषा के साथ ईमेल इंटरव्यू के दौरान सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के रुख पर सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा, "मुद्दा सरकार और कारोबार जगत के बीच गैर-पारदर्शी संबंधों को कम करने का है, और वास्तव में नियामकों को अपना काम करने देने का है. सेबी अभी तक मॉरीशस के उन फंड्स के स्वामित्व तक क्यों नहीं पहुंच पाई है, जो अडानी के शेयरों में कारोबार कर रहे हैं? क्या उसे इसके लिए जांच एजेंसियों की मदद की जरूरत है?"


हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट


इन इंवेस्टमेंट फंड्स के मॉरीशस में रजिस्टर्ड होने से उनकी स्वामित्व संरचना पारदर्शी नहीं है. मॉरीशस उन देशों में शामिल है जहां पर कॉरपोरेट टैक्स नहीं लगता है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है. इस दौरान इस ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों का मार्केट वैल्यूएशन आधा हो चुका है.


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