भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने आज अपनी मौद्रिक नीति (RBI Monetary Policy) का एलान करते हुए रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट और रिजर्व रेपो रेट में कोई चेंजेज नहीं होंगे. इसका मतलब है कि रेपो रेट अभी भी 6.50 फीसदी पर बना रहेगा. ऐसे में लोन लेने वालों के लिए यह राहत भरी खबर है, क्योंकि अब होम लोन का ब्याज दर में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद कम है.
आरबीआई के तीन दिवसीय बैठक में आम सहमति से नीतिगत दर को नहीं बदलने का फैसला लिया गया है. शक्तिकांत दास ने कहा कि हमारा फोकस महंगाई को कंट्रोल करने का रहा है और अर्थव्यवस्था में ग्रोथ बरकरार है. हालांकि पिछले कुछ समय से रेपो रेट में कई बाद बढ़ोतरी ने लोन लेने वाले लोगों पर बोझ डाला है, जिसे देखते हुए आरबीआई के रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला राहत दे सकता है.
त्योहारी सीजन में नहीं बढ़ेगा होम लोन का ब्याज
एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि आरबीआई के ब्याज दर में बदलाव नहीं करने से त्योहारी सीजन में महंगे होम लोन से राहत मिली है. घर खरीदारों के लिए यह एक अच्छी खबर है. अपरिवर्तित रेपो रेट घर खरीदारी में अपने बेहतर प्रदर्शन को बनाए रखेगी. खासकर मिडिल और लग्जरी में घर सेक्शन में अच्छा प्रदर्शन होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भारत कंजम्पशन को लेकर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.
दो साल में इतनी बढ़ी ईएमआई
ANAROCK रिसर्च के अनुसार, 2023 की पहली छमाही में शीर्ष 7 शहरों में करीब कुल आवास 2.29 लाख यूनिट्स की बिक्री देखी है, जो पिछले दशक में सबसे अधिक छमाही बिक्री है. वहीं महंगाई दर का जोखिम लगातार बना हुआ है और अगर यह बढ़ता है तो बिक्री पर इसका असर हो सकता है. रिसर्च के मुताबिक, पिछले दो वर्षों में घर खरीदने वालों की ईएमआई में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. जुलाई 2021 में होम लोन कर्जदाता करीब 22,700 रुपये का भुगतान कर रहे थे, जो अब 27,300 रुपये का पेमेंट कर रहे हैं.
खर्च और ईंधन की मांग बढ़ेगी
क्रेडाई नेशनल के चेयरमैन बोमन ईरानी ने कहा, “आरबीआई रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने का रुख लंबे समय में महंगाई को नियंत्रित करने की दिशा में एक सतर्क कदम है. अर्थव्यवस्था पटरी पर है और सभी क्षेत्रों में निरंतर मांग से प्रेरित होकर अगली एमपीसी समीक्षा में रेपो दर में कटौती की घोषणा की जाती है तो यह लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगा. कटौती के एलान से त्योहारी सीजन में खर्च बढ़ेगा और कई क्षेत्रों में ईंधन की मांग भी बढ़ेगी, जिससे भारत के ग्रोथ को भी बढ़ावा मिलेगा.''
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