नई दिल्लीः दुनियाभर के बाजारों में कोरोना वायरस या कोविड-19 के खतरे को देखते हुए घबराहट का माहौल है. इसको लेकर दुनियाभर के सेंट्रल बैंक बड़े कदम उठा रहे हैं. कल फेडरल बैंक ने अपनी ब्याज दरों में कटौती की है और आज देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कुछ एलान किए लेकिन रेपो रेट में कटौती नहीं की है.


आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांता दास ने आज शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इसमें कहा कि कोरोना वायरस में दिख रही तेजी मानवता के लिए त्रासदी बनकर आ रही है. भारत पर भी इसका असर देखा जा रहा है और इसके चलते ये साफ है कि भारत की जीडीपी पर कुछ निगेटिव असर देखा जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि आने वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी यानी एमपीसी में भी कोरोना वायरस के असर का ध्यान रखा जाएगा. सरकार ने जो एतियातन कदम कोरोना वायरस से बचने के लिए उठाए हैं, वो काफी अच्छे हैं और आरबीआई भी इस दिशा में काम कर रहा है.





RBI ने उठाए ये कदम
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने बैंकिग सिस्टम में एक लाख करोड़ रुपये के एलटीआरओ (लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशंस) की घोषणा की. कई चरणों में एलटीआरओ लाया जाएगा. हालांकि उन्होंने नीतिगत दरों यानी रेपो रेट में कोई कटौती नहीं की जिसकी उम्मीद की जा रही थी. कोरोना संकट के दौरान डिजिटल पेमेंट जैसे यूपीआई, भीम आदि विकल्प सबसे अच्छे हैं और इनके जरिए लोगों को कैश के संपर्क में सीधा नहीं आना होगा जो कुछ हद तक रोकथाम में काम आएगा.


रेपो रेट में कटौती को लेकर ये कहा-
शक्तिकांता दास ने कहा कि नीतिगत दरों में कटौती का फैसला एमपीसी में लिया जाएगा. हालांकि उन्होंने इस संभावना से भी इंकार नहीं किया कि आरबीआई की क्रेडिट पॉलिसी से पहले भी दरों में कटौती की जा सकती है. अगर बेहद आवश्यक लगा तो आरबीआई ऐसा फैसला एमपीसी से पहले ले सकता है.


YES BANK पर बोले
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यस बैंक में ग्राहकों का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है और उन्हें घबराने की अब कोई वजह नहीं है. बैंक पर से मोराटोरियम भी समय अवधि से पहले ही हटा लिया गया है. यस बैंक में 18 मार्च की शाम 6 बजे से सारे कामकाज सामान्य तौर पर होंगे और 19 मार्च से ग्राहक पहले की तरह बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे.


यस बैंक से मोरोटोरियम 18 मार्च को शाम 6 बजे हट जाएग और 26 मार्च को नया बोर्ड अपना काम शुरू कर देगा. इसके बाद एडमिनिस्ट्रेटर प्रशांत कुमार हट जाएंगे. राज्य सरकारों को यस बैंक से पैसा निकालने की कोई जरूरत नहीं है और आरबीआई  ने ये फैसला लिया है कि अगर लिक्विडिटी की जरूरत हुई तो इस पर जो जरूरी कदम होंगे वो आरबीआई की तरफ से लिए जाएंगे.