UP में कर्ज माफी पर RBI गवर्नर की खरी-खरीः कर्ज चुकाने की दर पर पड़ेगा असर
नई दिल्लीः किसानों की कर्ज माफी की उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने आंखे तरेरी है. उनका मानना है कि इस तरह के फैसले से ईमानदारी से कर्ज चुकाने वाली संस्कृति पर बुरा असर पड़ता है. उधर, पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी ने नीतिगत ब्याज दर में तो कोई फेरबदल नहीं किया, लेकिन बेंकों के लिए रिजर्व बैंक के पास पैसा रखने को और फायदेमंद बना दिया.
गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति ने उम्मीदों के मुताबिक नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट को सवा छह फीसदी पर बनाए रखा. फिर भी समिति मानती है कि जनवरी 2015 से लेकर अक्टूबर 2016 के बीच इस दर में की गयी पौने दो फीसदी की कटौती की है, लेकिन उसके हिसाब से बैंकों ने कर्ज पर ब्याज दर नहीं घटायी.
हालांकि बैंकों ने पिछले कुछ समय में ब्याज दर काफी घटायी है, फिर भी पटेल मानते हैं कि अभी और कटौती की गुंजायश है. दूसरी ओर मौद्रिक नीति समिति ने रिवर्स रेपो रेट में चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी का भी फैसला किया. ध्यान रहे कि रेपो रेट पर रिजर्व बैंक बैंकों को बहुत ही थोड़े समय के लिए कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट वो दर है जो बैंकों को रिजर्व बैंक के पास अपना पैसा रखने पर मिलता है.
पटेल कहते हैं कि बैंकों ने कर्ज पर ब्याज दर घटायी है, फिर भी नीतिगत ब्याज दर में की गयी कटौती का अभी भी फायदा देने की गुंजायश है. इस कमी के दायरे में छोटी बचत योजनाएं जैसे एनएससी और पीपीए भी आएंगी.
फिलहाल, पटेल किसानों की कर्ज माफी के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले से नाखुश दिखे. दो दिन पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने पहले कैबिनेट फैसले में छोटे और सीमांत किसानों के लिए 36 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की कर्ज माफी का फैसला किया. अब महाराष्ट्र की राज्य सरकार भी कर्ज माफी के लिए रास्ता तलाश रही है. लेकिन पटेल ने आगाह किया कि ऐसे फैसले नैतिक खतरों को जन्म दे सकते हैं. वो मानते हैं कि इससे कर्ज चुकाने के अनुशासन पर असर पड़ता है. यही नहीं, आने लाले दिनों में कर्ज चुकाने के लिए उत्साह भी प्रभावित होंगे.
पटेल की मानें तो किसानों के लिए कर्ज माफी से आगे ब्याज दर बढ़ने का खतरा भी बन जाता है. दरअसल, कर्ज माफी के लिए सरकार बाजार से उधार जुटाती है जिससे बाजार में नगदी में कमी आती है और इससे बाकी लोगों के लिए कर्ज महंगा होने की आशंका रहती है.
रिसर्च एजेंसियों का भी मानना है कि कर्ज माफी थोड़े समय के लिए भले ही राहत दे दे, लेकिन लंबे समय तक कई परेशानियों को जन्म दे सकता है.