Bank Deposit Growth Update: बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बार फिर बैंकों में घटते डिपॉजिट पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए बैंकों को कर्ज देने की रफ्तार और डिपॉजिट ग्रोथ पर पैनी निगाह रखने को कहा है जिससे बैंकिंग सिस्टम में किसी भी प्रकार के नगदी संकट को टाला जा सके.    


एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में शक्तिकांत दास ने कहा, आज की युवा पीढ़ी बहुत ही आकांक्षी है और वे अलग अलग मार्केट्स में निवेश को लेकर आकर्षित हो रहे हैं. इसमें कोई बुराई नहीं है, ये सामान्य है और कुछ मायनों में पॉजिटिव भी है. उन्होंने कहा, हम बैंकों को इस परिस्थिति के मद्देनजर सतर्क कर रहे हैं कि वे हालात पर नजर बनाएं रखें. अभी कोई समस्या नहीं है लेकिन आने वाले दिनों में ये स्ट्रक्चरल नगदी समस्या का रूप ले सकता है. 


आरबीआई गवर्नर ने कहा, बैंकों को इनोवेटिव प्रोडक्ट्स और सर्विस ऑफरिंग के जरिए ज्यादा से ज्यादा डिपॉजिट आकर्षित करने पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा, टेक्नोलॉजी के चलते क्रेडिट ग्रोथ और डिस्बर्समेंट में तेजी आई है लेकिन डिपॉजिट ग्रोथ के लिए फिजिकल चैनल्स पर निर्भरता ज्यादा है जिससे वो कम रहा है. 


ये पहला मौका नहीं है जब आरबीआई गवर्नर ने बैंकों में घटते डिपॉजिट्स को लेकर चिंता जाहिर की है. 8 अगस्त, 2024 में मॉनिटरी पॉलिसी के एलान के दौरान भी उन्होंने बैंकों को डिपॉजिट्स लुभाने के लिए कहा था. पिछले महीने भी आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि क्रेडिट ग्रोथ डिपॉजिट ग्रोथ से आगे नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, डिपॉजिट मोबिलाइजेशन क्रेडिट ग्रोथ के मुकाबले कुछ समय से पिछड़ता जा रहा है. इससे सिस्टम स्ट्रक्चरल नगदी मुद्दों पर एक्सपोज हो सकता है. 


शक्तिकांत दास ने कहा, लोग अपने बचत को बैंकों में जमा किया करते थे या सेविंग्स में निवेश करते थे लेकिन अब वे कैपिटल मार्केट्स या दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर रहे हैं. परिवारों के फाइनेंशियल एसेट्स में बैंक डिपॉजिट की हिस्सेदारी घटती जा रही है. हाउसहोल्ड्स अब अपने बचत को म्यूचुअल फंड्स, इंश्योरेंस फंड्स या पेंशन फंड्स में जमा कर रहे हैं. 


इससे पहले सोमवार 19 अगस्त, 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक में डिपॉजिट ग्रोथ बढ़ाने के तौर तरीकों पर फोकस करने को कहा है.  


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