आरबीआई समेत दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों को महंगाई के बाद अब नई चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि केंद्रीय बैंकों को अब भू-राजनीतिक व्यवधानों और वैश्विक आर्थिक हालातों के चलते परेशान होना पड़ सकता है.


नेपाल राष्ट्र बैंक में गवर्नर दास ने की टिप्पणी


गवर्नर शक्तिकांत दास नेपाल के केंद्रीय बैंक नेपाल राष्ट्र बैंक में मंगलवार को एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. उसी दौरान उन्होंने ये टिप्पणियां की. गवर्नर दास की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब दुनिया विभिन्न मोर्चों पर युद्ध का सामना कर रही है. पूर्वी यूरोप में पहले ही रूस और युक्रेन युद्ध कर रहे हैं. वहीं हालिया महीनों में पश्चिम एशिया में हालात तेजी से बिगड़े हैं.


पश्चिम एशिया में बिगड़ गए हैं हालात


पश्चिम एशिया में इजरायल और विभिन्न अरब देश आमने-सामने हैं. इजरायल पहले ही हमास से युद्ध लड़ रहा है. बीते दिनों इजरायल का ईरान और लेबनान जैसे देशों के साथ तनाव बढ़ा है. हाल ही में हुए पेजर कांड और उसके बाद लेबनान में हिजबुल्ला के सैकड़ों ठिकानों पर इजरायल के अटैक के बाद मामला गंभीर हो गया है. बदले हालात में एनालिस्ट को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं पश्चिम एशिया में युद्ध का विस्तार न हो जाए.


फिनटेक के कारण भी आएंगी नई चुनौतियां


रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने किसी युद्ध या तनाव का सीधे नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों के सामने नई तरह की चुनौतियां आ सकती हैं. उन्होंने कहा कि संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्रीय बैंकों को पहले से तैयार रहना चाहिए. फिनटेक के उभार से आने वाली चुनौतियों पर भी उन्होंने बात की. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंकों को कीमत और वित्तीय स्थिरता को ठोस बनाते हुए डिजिटल इनोवेशन को बढ़ावा देने पर ध्यान देना होगा.


महंगाई से राहत के बाद कम होने लगी ब्याज दरें


केंद्रीय बैंकों को बीते 3-4 सालों से महंगाई से जूझना पड़ रहा है. कोविड के बाद दुनिया भर में महंगाई आसमान पर पहुंच गई. उसके बाद रूस-यूक्रेन के युद्ध ने खास तौर पर खाने-पीने की चीजों की महंगाई बेतहाशा बढ़ा दी. हालांकि अब महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलने लगी है और केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरें कम करने की शुरुआत कर दी है. अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने करीब 4 साल के बाद पहली बार इसी महीने ब्याज दर में कटौती की. रिजर्व बैंक भी अगले महीने होने जा रही एमपीसी बैठक में ब्याज दरें कम करने की शुरुआत कर सकता है.


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