RBI MPC Meeting: गुरुवार 8 अगस्त 2024 को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में लिए गए फैसलों का एलान करेंगे. और इस बात की संभावना ज्यादा है कि इस मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में भी आरबीआई अपने पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं करेगा. 


भारतीय रिजर्व बैंक के सामने महंगाई अभी भी चुनौती बनी हुई है और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानि खुदरा महंगाई दर अभी भी आरबीआई के 4 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर बना हुआ है. जून 2024 में खुदरा महंगाई दर फिर से 5 फीसदी के पार 5.08 फीसदी पर जा पहुंची है. जिसमें बड़ा योगदान खाद्य महंगाई में उछाल को जाता है जो 9.36 फीसदी पर जा पहुंची है. जून 2023 में खाद्य महंगाई दर 4.31 फीसदी रही थी. साग-सब्जियों और दालों की कीमतों ने आरबीआई की सिरदर्दी को बढ़ा रखा है. जून में सब्जियों की महंगाई दर 29.32 फीसदी और दालों की महंगाई 16.07 फीसदी रही है. 


पिछले महीने ही गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि आर्थिक माहौल में अस्थिरता और महंगाई दर के 5 फीसदी के ऊपर होने के चलते ब्याज दरों में कटौती के बारे में अभी बातें करना जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा, भारत समेत पूरे विश्व में आर्थिक हालात में अनिश्चितता है ऐसे में ब्याज दरों में कटौती को लेकर बात अभी बातें करना ठीक नहीं है. शक्तिकांत दास ने कहा आरबीआई ने महंगाई दर को 4 फीसदी तक लाने का लक्ष्य तय किया हुआ है और महंगाई दर 5 फीसदी के ऊपर बना हुआ है. 


मई 2022 में खुदरा महंगाई दर के 7.80 फीसदी पर जाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई पर नकेल कसने के लिए पॉलिसी रेट्स को बढ़ाना शुरू किया और फरवरी 2023 तक रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया. 10 महीने में 250 बेसिस प्वाइंट रेपो रेट को बढ़ा दिया गया जिससे ईएमआई महंगी हो गई. 


अप्रैल 2023 के बाद से रेपो रेट स्टेबल बना हुआ है. ब्याज दरों को लेकर अलग-अलग देशों में अलग तस्वीर नजर आ रही हैं. बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में कटौती की है सितंबर महीने में फेडरल रिजर्व की ओर से कटौती किए जाने की संभावना है जबकि बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दरें बढ़ा दी है. आरबीआई क्या निर्णय लेता इसका सबको इंतजार रहेगा. लेकिन जानकारों का मानना है कि भारत में मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही से ही ब्याज दरों में कमी देखने को मिल सकती है.   


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