RBI MPC Meeting: किस घोड़े के उछलने से डर रहे आरबीआई गवर्नर? किसे हाथी की जगह अब बताया घोड़ा!
Shaktikanta Das: आरबीआई गवर्नर के मुताबिक सितंबर महीने में बेस इफेक्ट के अपने पक्ष में नहीं होने और खाद्य कीमतों में उछाल के चलते खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी आ सकती है.
RBI MPC Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक के तीन दिनों तक चले मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बैठक में लिए गए फैसले का एलान किया जिसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया और इसे 6.50 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया गया है. लेकिन आरबीआई गवर्नर के स्पीच के दौरान उन्होंने बार-बार घोड़ा (Horses) शब्द का जिक्र किया. इससे पहले के मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए वे बार-बार एलीफेंट (Elephant) यानि हाथी का जिक्र करते रहे हैं. ऐसे में आपको मन में ये सवाल जरूर कौंध रहा होगा कि आखिरकार आरबीआई गवर्नर क्यों हाथी और घोड़े का नाम बार-बार लेते रहे हैं और ये कहकर किसे संबोधित कर रहे हैं?
कौन है हाथी-घोड़ा?
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का एलीफेंट और घोड़े से मतलब ऊच्च महंगाई दर से है जिसने फरवरी 2022 में यूक्रेन और रूस के बीच शुरू होने के बाद से ही परेशान कर रखा है. खाद्य महंगाई दर ने लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाला हुआ है. महंगाई पर लगाम लगाने के लिए मई 2022 के बाद आरबीआई ने अपने पॉलिसी रेट्स रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया. आरबीआई के इस कदम के बाद मौजूदा वर्ष में जुलाई और अगस्त में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टोलरेंस बैंड 4 फीसदी के नीचे बनी हुई है. लेकिन आरबीआई गवर्नर को डर है कि महंगाई रूपी ये घोड़ा फिर से उछलकर भाग सकता है जिससे सतर्क रहने की जरूरत है.
किसे आरबीआई गवर्नर ने बताया घोड़ा?
महंगाई घटने के बाद ब्याज दरों में कटौती को लेकर पहले जब भी गवर्नर शक्तिकांत दास से सवाल पूछा जाता रहा है वे अपने जवाब में कहा करते थे कि दि एलीफैंट इज इन दि रूम (The Elephant In The Room) जो कि सेंट्रल बैंक के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. और एलीफेंट (Elephant) यानि हाथी से उनका तात्पर्य उच्च महंगाई दर से था. लेकिन 9 अक्टूबर 2024 को जब आरबीआई गवर्नर मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद अपना स्टेटमेंट पढ़ा तो उन्होंने कहा कि महंगाई को अब हाथी नहीं बल्कि घोड़ा कहना शुरू कर दिया.
घोड़े के उछलने से क्यों डर रहे गवर्नर?
मॉनिटरी पॉलिसी के एलान के बाद प्रेस कॉंफ्रेंस में जब आरबीआई गवर्नर से इसे लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, पहले मैंने हाथी का इस्तेमाल किया था अब घोड़ा का इस्तेमाल कर रहा हूं और युद्ध में हाथी और घोड़े दोनों का ही इस्तेमाल किया जाता है. आरबीआई गवर्नर हमेशा से कहते रहे हैं कि महंगाई के खिलाफ युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है. और आज भी उन्होंने कहा, महंगाई में कमी जरूर आई है लेकिन वैश्विक तनाव के चलते कमोडिटी और खाद्य कीमतों में उछाल का जोखिम बना हुआ है. आरबीआई गवर्नर ने कहा, महंगाई के खिलाफ युद्ध में बेहद सतर्क रहने की जरूरत है और इसलिए उन्होंने कहा, घोड़ा फिर से उछल सकता है.
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