भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास बुधवार को सरकारी बैंकों (Public Sector Banks) के चीफ एग्‍जीक्‍यूटिव ऑफिसर्स  (CEO) के साथ बैठक करेंगे. 
इस बैठक में धीमी जमा वृद्धि (Slow Deposit Growth) और लोन की ऊंची मांग को बनाए रखने से संबंधित मसलों पर चर्चा की जाएगी. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, जमा राशि में सालाना आधार पर 10.2 प्रतिशत की तुलना में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जबकि लोन का उठाव एक साल पहले के 6.5 प्रतिशत की तुलना में 17.9 प्रतिशत बढ़ा गया है.


सूत्रों ने बताया कि बैठक के लिए जारी एजेंडा के अनुसारक, मूल्य निर्धारण और जमा की धीमी वृद्धि समेत स्थिरता पर चर्चा की जाएगी. सूत्रों के अनुसार, बैठक में खुदरा और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (MSME) खंड में संपत्ति की गुणवत्ता पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा.


इसके अलावा, बैठक में पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई डिजिटल बैंकिंग इकाइयों के कामकाज की भी समीक्षा की जाएगी. उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बेहतर आर्थिक प्रदर्शन को बैंकिंग प्रणाली की मजबूती से समर्थन मिला है. साथ ही खुदरा, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में लोन डिस्ट्रिब्‍यूशन भी बढ़ा है.


गैर-खाद्य क्रेडिट ग्रोथ मार्च 2022 के 8.7 प्रतिशत से लगभग दोगुना बढ़कर सितंबर में 16.4 प्रतिशत पर पहुंच गया. यह न सिर्फ मौजूदा आर्थिक गतिविधियों में तेजी को दर्शाता है बल्कि भविष्‍य की भी एक अच्‍छी तस्‍वीर प्रदर्शित करता है. उद्योगों को दिए जाने वाले कर्ज में ईसीएलजी स्‍कीम (ECLG Scheme) के तहत एमएसएमई को दिए कर्ज में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 


अगस्‍त में केंद्रीय कैबिनेट ने ईमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्‍कीम (ECLGS) के तहत अतिरिक्‍त 50,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्‍य यह सुनिश्चित करना था कि कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित हॉस्पिटैलिटी और संबंधित उद्योगों को सस्‍ती दरों पर कर्ज उपलब्‍ध हो सके. 


ईसीएलजीएस की सीमा 4.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपये कर दी गई थी. अतिरिक्‍त पैसे सिर्फ हॉस्पिटैलिटी और संबंधित सेक्‍टर्स के लिए अलग रखे गए थे. 


 


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