RBI On Illegal Digital Lending Apps: ऐसी फिनटेक ( Fintech) कंपनियां जो गैरकानूनी तरीके से Digital Lending Apps चला रही है जिसके जरिये लोगों को कर्ज दे रही हैं उनपर शिंकजा कसा जाएगा. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल एप के जरिये डिजिटल लेडिंग पर गठित आरबीआई ( Reserve Bank of India)  के वर्किंग ग्रुप ( Working Group) में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इस वर्किंग ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कहा है  देश में आधे से ज्यादा Digital Lending Apps गैरकानूनी ( Illegal) तौर पर चल रहे हैं. 



आरबीआई के वर्किंग ग्रुप ने ये रिपोर्ट ग्राहकों के हितों की रक्षा ( Consumer Protection)  करने और डिजिटल लेंडिंग इकोसिस्टम को सुरक्षित ( Safe Digital Ecosystem)  बनाने के मकसद से तैयार किया है. वर्किंग ग्रुप ने डिजिटल लेंडिंग इकोसिस्टम के भागीदारों द्वारा Self-Regulatory Organisation (SRO) बनाने का भी सुझाव दिया है.  
वर्किंग ग्रुप ने केंद्र सरकार को मोबाइल एप द्वारा गैरकानूनी तरीके से कर्ज देने पर रोक लगाने के लिये कानून बनाने का भी सुझाव दिया है. वर्किंग ग्रुप ने जो रिसर्च किया है उसके मुताबिक 1100 Mobile Lending Apps में से 600 गैरकानूनी तरीके से चलाये जा रहे हैं.  


वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि डिजिटल लोन सर्विस के मोर्चे पर सभी लोन Repayment सीधे डिजिटल लेंडिंग करने वाली कंपनी के खाते में डाला जाये और जिसे कर्ज दिया  जा रहा है वो भी सीधे borrower के बैंक खाते में डाला जाये. 


13 जनवरी 2021 को आरबीआई ने एक्जीक्यूटिव डॉयरेक्टर जयंत कुमार डाश की अध्यक्षता में इस वर्किंग ग्रुप का गठन किया था. इस ग्रुप ने डिडिटल लेंडिंग मोबाइल अप्लीकेशन का नोडल एजेंसी से वेरिफिकेशन कराने का सुझाव दिया है. इस नोडल एजेंसी को सभी स्टेकहोल्डरों के साथ विचार विमर्श के बाद बनाया जाएगा. 


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