RBI Pilot Project: भारतीय रिजर्व बैंक- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) एक सार्वजनिक प्रौद्योगिकी मंच यानी पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म का पायलट प्रोजेक्ट कल यानी 17 अगस्त से लॉन्च करने वाला है. इस पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म के जरिए आरबीआई वंचित क्षेत्रों में लोन मुहैया कराने और फाइनेंशियल इंक्लूजन बढ़ाने के लिए काम किए जाएंगे. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बीते बृहस्पतिवार को कहा था कि रिजर्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) आसानी से लोन उपलब्ध कराने के लिये एक पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म तैयार कर रहा है.


किस तरह के लोन मिलने का प्रावधान देगा आरबीआई


इसके बाद आरबीआई ने सोमवार को बयान में कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के दौरान इस टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म पर मौजूदा बैंक 1.6 लाख रुपये के किसान क्रेडिट कार्ड लोन, दूध उत्पादकों को लोन, किसी जमानत के बगैर MSME उद्योगों को लोन, पर्सनल लोन और होम लोन देने का काम कर सकेंगे.


बिना बाधा के लोन डिस्ट्रीब्यूशन को आसान बनाएगा आरबीआई का पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म


रिजर्व बैंक कर्जदाताओं को जरूरी डिजिटल इंफॉर्मेशन की मदद से बिना बाधा के लोन डिस्ट्रीब्यूशन को आसान बनाना चाहता है. इसके लिए आरबीआई अपने सार्वजनिक प्रौद्योगिकी मंच की 17 अगस्त को पायलट स्तर पर शुरुआत करेगा. देश के केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि इस प्लेटफॉर्म पर ओपन एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (API) और इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के जरिए उन लोगों को लोन दिया जा सकता है जिनके पास लोन लेने के लिए ज्यादा अवसर नहीं बन पाते हैं.


17 अगस्त को लॉन्च होगा पायलट प्रोजेक्ट


आरबीआई ने इसके लिए एक बयान में कहा कि, यह डिजिटल प्लेटफॉर्म एक ओपन इंफ्रास्ट्रक्चर, ओपन 'एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस' (एपीआई) और स्टैंडर्ड्स से लैस होगा जिससे फाइनेंशियल सेक्टर की सभी यूनिट्स 'प्लग एंड प्ले' मॉडल पर बिना किसी परेशानी के जुड़ सकेंगी. एपीआई एक सॉफ्टवेयर है जो दो एप्लिकेशन को एक दूसरे से कॉन्टेक्ट स्थापित करने की अनुमति देता है. एपीआई यूनिट के भीतर और अलग-अलग यूनिट्स के बीच आंकड़े प्राप्त करने और साझा करने का एक सुलभ तरीका है.



आरबीआई ने कहा कि 17 अगस्त को इस मंच को पायलट स्तर पर शुरू किया जाएगा और इस दौरान मिले अनुभवों के आधार पर अधिक प्रोडक्ट्स, सूचना प्रदाताओं और कर्जदाताओं को भी दायरे में लाया जाएगा. पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म परआधार के जरिए इलेक्ट्रॉनिक केवाईसी करने, राज्य सरकारों के लैंड रिकॉर्ड, पैन की वैलिडिटी, आधार ई-सिग्नेचर और होम और प्रॉपर्टी की तलाश के आंकड़ों को जोड़ने का काम किया जा सकेगा.


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