कोरोना संकट के बीच म्यूचुअल फंड्स के लिए आरबीआई ने दिए 50 हजार करोड़
म्युच्युअल फंड सेक्टर को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. इसी के चलते आरबीआई ने 50 हजार करोड़ के पैकेज का एलान किया.
नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच केंद्रीय रिजर्व बैंक से आज बड़ी खबर सामने आयी. आर्थिक चुनौती के दौर में आरबीआई ने म्युचुअल फंड सेक्टर को बड़ी मदद दी है. RBI ने म्यूच्युअल फंड निवेशकों को 50 हजार करोड़ रुपए की स्पेशल लिक्विडिटी फैसिलिटी के तहत दिए हैं. बता दें कि म्युच्युअल फंड सेक्टर को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था.
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि इस बढ़ते दबाव के चलते म्यूचुअल फंड कंपनियों को कुछ बांड योजनाओं को बंद करना पड़ा है. इसके और नुकसानदायक प्रभाव भी हो सकते हैं. हालांकि यह दबाव मुख्य तौर पर ज्यादा जोखिम वाले बांड म्यूचुअल फंड तक ही सीमित है जबकि अन्य कंपनियों / योजनाओं की नकदी स्थिति सामान्य है.
बयान में कहा गया है, ‘‘म्यूचुअल फंड कंपनियों पर नकदी के दबाव को कम करने के लिए उन्हें 50,000 करोड़ रुपये की विशेष नकदी सुविधा (ऋण सहायता) उपलब्ध कराने का निर्णय किया गया है.’’ रिजर्व बैंक ने कहा कि वह हालातों को लेकर सतर्क है. कोरोना वायरस के आर्थिक असर को कम करने और वित्तीय स्थिरता को कायम रखने के लिए वह हरसंभव कदम उठा रहा है.
हाल ही में शीर्ष Mutual Fund कंपनियों में शुमार फ्रैंकलिन टेंपलटन ने अपनी 6 स्कीम्स को बंद कर दिया था. इसी के बाद से बाजार में एक हलचल थी कि निवेशक कहीं अपनी स्कीम्स से पैसा ना निकाल लें. इसीलिए निवेशकों को भरोसा देने और म्युच्युअल फंड सेक्टर की मदद के लिए आरबीआई ने इस पैकेज का एलान किया है.
आरबीआई की ओर से 50 हजार करोड़ रुपये के एलान के जरिए आरबीआई यह संकेत देना चाहती है कि आप घबराएं नहीं. सरकार, आरबीआई और बाकी संस्थाएं सभी सेक्टर को लेकर चिंतित हैं. माना जा रहा है कि आरबीआई आगे भी कुछ और पैसे का एलान कर सकता है.
इससे पहले भी राहत दे चुका है आरबीआई इससे पहले भी आरबीआई पैकेज का एलान और रेपो रेट को कम करके आम लोगों को राहत दे चुका है. रिजर्व बैंक ने कोरोना वायरस महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को दूर करने के लिये राहत के उपायों की दूसरी किस्त की घोषणा की थी. इसमें रिजर्व बैंक ने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के प्रावधानों में ढील देने, बैंकों को लाभांश भुगतान से छूट देने और बैंकों को अधिक कर्ज बांटने में सक्षम बनाने के लिये रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करने समेत कई उपाय किये थे.