नई दिल्ली: नोटबंदी के लगभग 4 महीने बीतने के बाद सभी जानना चाहते हैं कि पुराने नोटों की शक्ल में कितनों के पास काला धन था जिसे रोकने के लिए नोटबंदी को हथियार के रूप में पेश किया गया था. हालांकि आपको जानकर हैरानी होगी कि अभी भी आरबीआई के पास इसका आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि बैंकों के पास कितना काला धन आ चुका है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दायर अर्जी के जवाब में कहा है कि उसके पास इस बात की जानकारी उपलब्ध नहीं है कि गत 8 नवंबर से 30 दिसंबर तक देश के कुल कितने बैंक खातों में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की रकम 500 और 1000 रुपये के बंद नोटों के रूप में जमा हुई. 2.5 लाख का जिक्र यहां पर इसलिए किया जा रहा है क्योंकि आयकर विभाग ने नोटबंदी के बाद कहा था कि जिन खातों में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जमा की जाएगी उन पर निगरानी रखी जाएगी और अगर स्त्रोत का पता नहीं चला तो उन लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
कैसे सामने आया ये सच?
इसी बारे में एक आरटीआई (राइट टू इंफॉर्मेशन-सूचना का अधिकार) दाखिल की गई थी जिसका आधिकारिक आरबीआई ने दे दिया है और इस जवाब के बाद ये तो साफ हो गया है कि कम से कम आरबीआई के पास इसकी पुख्ता जानकारी नहीं है कि कितना काला धन नोटबंदी के बाद वापस आया है.
मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखरन गौड़ ने आज बताया कि रिजर्व बैंक के मुद्रा प्रबंध विभाग की ओर से उनकी आरटीआई अर्जी पर 17 फरवरी को इस सवाल का जवाब दिया गया. गौड़ ने रिजर्व बैंक से पूछा था कि 8 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के बीच देश के अलग-अलग बैंकों के कुल कितने खातों में 2.50 लाख रुपये से ज्यादा कीमत के चलन से बाहर किए गए नोट जमा हुए है.
सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि उन्होंने आरटीआई के तहत रिजर्व बैंक से यह भी जानना चाहा था कि इस अवधि में विविध सहकारी बैंकों के कुल कितने खातों में 2.5 लाख से ज्यादा की रकम 500 और 1000 रुपये के बंद नोटों की शक्ल में जमा हुई. गौड़ ने कहा, ‘मेरी आरटीआई अर्जी पर इस सवाल का भी यही उत्तर दिया गया कि मांगी गयी जानकारी रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध नहीं है.’
सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड-सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस) ने गत 17 नवंबर को कहा था कि 9 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के दौरान बैंक खातों में कुल 2.5 लाख रुपये या इससे ज्यादा की रकम जमा कराने पर भी पैन नंबर का उल्लेख करना अनिवार्य होगा.
यह कदम इसलिये उठाया गया था, ताकि कोई 500 और 1000 रुपये के बंद नोटों को 50 दिन की तय मोहलत में बैंकों में जमा कराने की आड़ में अपनी काली कमाई को सफेद न कर सके. लेकिन आरबीआई के आज के इस ऐलान के बाद तो इस योजना के सफल होने की उम्मीद धूमिल हो गई है.