RBI Tokenization Rule: ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड को रोकने के लिए RBI ने उठाये ठोस कदम, देखें क्या है नियम
Card Tokenization प्रणाली के तहत बैंकों को यह डेटा ट्रांजेक्शन के तुरंत बाद डिलीट करना पड़ जाता था. एक्वायरिंग बैंक उन्हें कहा जाता है जो दुकानदार के खाते में ग्राहक की ओर से पैसा जमा करते हैं.
RBI Tokenization Guidelines : भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने आदेश में कहा कि Acquiring Bank Payer के क्रेडिट या डेबिट कार्ड के डेटा (Card on File) 31 जनवरी 2023 तक स्टोर कर सकते हैं. आपको बता दें कि कार्ड टोकनाइजेशन (Card Tokenization) प्रणाली के तहत बैंकों को यह डेटा ट्रांजेक्शन के तुरंत बाद डिलीट करना पड़ जाता था. एक्वायरिंग बैंक उन्हें कहा जाता है जो दुकानदार के खाते में ग्राहक की ओर से पैसा जमा करते हैं.
क्या है कार्ड इश्यूर बैंक
आपको बता दें कि ग्राहक के खाते से पैसा काटने वाले बैंक को इश्यूर बैंक कहा जाता है. कार्ड इश्यूर और कार्ड नेटवर्क के अलावा एक ट्रांजेक्शन के पूरा होने की प्रक्रिया में व्यापारी और पेमेंट एग्रीगेटर भी शामिल होते हैं. इस तरह से अन्य 2 इकाइयां भी कार्ड का डेटा सेव कर सकेंगी. इसकी अधिकतम अवधि 4 दिन होगी.
सिर्फ 4 दिन के लिए होगा डाटा सेव
आरबीआई (RBI) ने कहा है कि इस डेटा का इस्तेमाल केवल ट्रांजेक्शन सेटलमेंट के लिए होना चाहिए और उसके बाद इसे डिलीट करना होगा. मालूम हो कि कार्ड इश्यूर और नेटवर्क को छोड़कर अन्य सभी इकाइयां 4 दिन के लिए डेटा 30 सितंबर तक की सेव कर सकती हैं और उसके बाद उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं होगी.
बढ़ाई गई अंतिम तिथि
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने कार्ड टोकेनाइजेशन सिस्टम लागू किए जाने की डेडलाइन बढ़ा कर 30 सितंबर, 2022 कर दी है. यह डेडलाइन पहले 30 जून, 2022 थी.
क्या है कार्ड टोकनाइजेशन
टोकनाइजेशन का मतलब है कि कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन के लिए एक यूनिक अल्टरनेट कोड यानी टोकन जनरेट किया जाता है. ये टोकन ग्राहक की जानकारी का खुलासा किए बिना पेमेंट करने की अनुमति देंगे. टोकनाइजेशन सिस्टम का मकसद ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड को रोकना है. आप में से कई लोगों ने शॉपिंग ऐप या वेबसाइट पर ‘सिक्योर योर कार्ड’ या ‘सेव एज पर आरबीआई गाइडलाइन्स’ लिखा देखा होगा. इसे सेव कर ओटीपी दर्ज करने के बाद आपका कार्ड टोकनाइज्ड हो जाएगा.
1 अक्टूबर से बदलेगा नियम
अगर ग्राहकों ने कार्ड टोकनाइजेशन के लिए सहमति नहीं दी, तो उन्हें हर बार ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए कार्ड वेरीफिकेशन वैल्यू यानी सीवीवी (CVV) दर्ज करने के बजाए अपने सभी कार्ड विवरण नाम, कार्ड नंबर और कार्ड की वैलिडिटी दर्ज करनी होगी. वहीं, कार्ड टोकनाइजेशन की अनुमति देने के बाद ट्रांजेक्शन के समय उन्हें केवल सीवीवी और ओटीपी (OTP) डालना होगा.