नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंकों में से एक आईसीआईसीआई बैंक के ऊपर रिजर्व बैंक ने सिक्योरिटीज की प्रत्यक्ष बिक्री के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 58.9 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. ये एक बार में आरबीआई द्वारा किसी बैंक पर लगाई गई सबसे ज्यादा पेनल्टी है.


केंद्रीय बैंक ने आज जारी अधिसूचना में कहा, ‘रिजर्व बैंक ने सिक्योरिटीज की प्रत्यक्ष बिक्री के संबंध में जारी दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने के कारण आईसीआईसीआई बैंक पर 26 मार्च के एक आदेश के तहत 58.9 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.’ दरअसल बैंक पर एचटीएम (हेल्ड टू मेच्योरिटी) पोर्टफोलियो की सिक्योरिटीज की प्रत्यक्ष बिक्री के नियमों का उल्लंघन करने पर ये पेनल्टी लगाई गई है.


एचटीएम सिक्योरिटीज
एचटीएम ऐसी सिक्योरिटीज होती है जिन्हें मैच्योरिटी अवधि पूरी होने तक रखा जाता है और आईसीआईसीआई बैंक ने इसका पालन नहीं किया. बैंकों को एचटीएम सिक्योरीटीज जिनके पेपर्स को मैच्योरिटी की अवधि तक रखा जाता है और इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए इनका प्रयोग नहीं किया जाता है.


बैंक ने एचटीएम सिक्योरिटीज की प्रत्यक्ष बिक्री और उनके खुलासे संबंधी नियमों का पालन नहीं किया जिसके बाद ये पेनल्टी लगाई गई है.


आईसीआईसीआई बैंक की एमडी चंदा कोचर भी घिरीं विवादों में
उधर आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक की सीएमडी चंदा कोचर भी गंभीर आरोपों से घिर गई हैं. आरोप है कि चंदा कोचर के बैंक ने उस वीडियोकॉन कंपनी को लोन दिया जिसके मालिक वेणुगोपाल धूत के साथ चंदा कोचर के पति के कारोबारी रिश्ते हैं. वीडियोकॉन वो कारोबारी घराना है जिसका लोन अकाउंट 2017 में एनपीए घोषित किया जा चुका है.


दिसंबर 2008 में वीडियोकॉन ग्रुप के वेनुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के साथ एक कंपनी बनाई. इस कंपनी में दीपक कोचर के साथ उनके दो रिश्तेदार भी शामिल हैं. इसके बाद धूत ने एक कंपनी के जरिए इस ज्वाइंट वेंचर को 64 करोड़ का लोन दिया. बाद में धूत ने जिस कंपनी के ज़रिए लोन दिया था उसकी पूरी हिस्सेदारी सिर्फ 9 लाख में एक ट्रस्ट को सौंप दी जिसके प्रमुख दीपक कोचर हैं. इस पूरे मामले में जांच एजेंसियों ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है.


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