आरबीआई ने 4 सालों में पहली बार बढ़ाई ब्याज दरें, बढ़ सकती है आपकी EMI
रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने 3 दिनों तक चली बैठक के बाद नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है.
नई दिल्लीः आपकी जेब पर एक बोझ बढ़ने वाला है और अब आपके लिए कर्ज महंगा होगा और ईएमआई में बढ़ोतरी हो सकती है. आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है जिसके बाद आपके लिए बैंकों से कर्ज लेना और महंगा होने वाला है.
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी क्रेडिट पॉलिसी में नीतिगत दरों में इजाफा करते हुए रेट 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया है. रिवर्स रेपो रेट में भी 0.25 फीसदी का इजाफा किया गया है और ये बढ़कर 6 फीसदी पर आ गया है. सीआरआर बिना किसी बदलाव के 4 फीसदी पर ही कायम है. खास बात ये है कि मौजूदा मोदी सरकार में ये पहली बार है जब आरबीआई ने ब्याज दरों में इजाफा किया है. इससे पहले जनवरी 2014 में आरबीआई ने दरों में इजाफा किया था. 4 सालों के लंबे अंतराल के बाद अब जब आरबीआई ने नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की है तो इसका सीधा बुरा असर आपकी जेब पर पड़ेगा.
इसका मतलब ये होगा कि आगे चलकर बैंक भी कर्ज की दरों में इजाफा कर सकते हैं. रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने 3 दिनों तक चली बैठक के बाद नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है.
ब्याज दरों को लेकर आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 4 जून से शुरू हुई थी. इसमें पॉलिसी रेट तय करने के लिए खास तौर पर महंगाई और क्रूड की कीमतों पर नजर रखी गई थी और इसी के आधार पर सभी 6 एमपीसी सदस्यों ने दर बढ़ाने के पक्ष में वोट किया है. क्रूड की बढ़ती कीमतों को लेकर महंगाई दर की अनिश्चितता को इस रेट बढ़ोतरी की मुख्य वजह माना जा सकता है.
क्रेडिट पॉलिसी की खास बातें- आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019 का जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है.
- रिटेल महंगाई दर का अनुमान बढ़ा दिया गया है.
- अप्रैल-सितंबर के बीच 7.5-7.6 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान दिया है.
- अक्टूबर-मार्च के दौरान 7.3-7.4 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान आरबीआई ने दिया है.
- पहले आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में ग्रोथ का अनुमान 7.3-7.4 फीसदी रहने का अनुमान दिया था और अब कहा कि पहली छमाही बेहतर होगी और दूसरी छमाही में थोड़ी गिरावट देखी जा सकती है.
- अप्रैल-सितंबर के बीच महंगाई दर 4.8-4.9 फीसदी रहने का अनुमान है.
- अक्टूबर-मार्च के दौरान महंगाई दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान दिया गया है.
आपको बता दें कि लगातार चार क्रेडिट पॉलिसी के बाद आरबीआई ने दरों में बदलाव किया है. आरबीआई ने अगस्त 2017 में दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की थी. अगस्त 2017 से आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया था.
5 अप्रैल 2018 की क्रेडिट पॉलिसी वित्त वर्ष 2018 की क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया था और रेपो रेट 6 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा था. इसके अलावा सीआरआर (कैश रिजर्व रेश्यो) भी 4 फीसदी पर ही कायम रखा गया था. 5 अप्रैल को जारी की गई पॉलिसी में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही के लिए 4.7-5.1 फीसदी की महंगाई दर का अनुमान लगाया था.
7 फरवरी 2018 की क्रेडिट पॉलिसी इस मॉनिटरी पॉलिसी में भी आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव न करते हुए रेपो रेट 6 फीसदी, रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी और सीआरआर 4 फीसदी पर ही बरकरार रखे थे.
क्या है रेपो रेट/रिवर्स रेपो रेट/सीआरआर रेपो दर वो दर है जिस पर रिजर्व बैंक बहुत ही थोड़े समय के लिए बैंकों को कर्ज देता है. इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट वो है जिसपर बैंक आरबीआई को कर्ज देते हैं. सीआरआर यानी कैश रिजर्व रेश्यो का अर्थ है कि बैंकों को अपनी पूंजी का कुछ हिस्सा आरबीआई के पास रिजर्व रखना होता है और इसे कैश रिजर्व रेश्यो कहा जाता है.