नई दिल्लीः स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिसर्च रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लोगों को दिए गए लोन की किस्तों के लिए मोराटोरियम पीरियड (मोहलत) को 3 महीनों के लिए बढ़ा सकता है. अगर ऐसा हो जाता है तो लोगों को अगस्त तक के लिए लोन की किस्त चुकाने से छूट मिल पाएगी.


17 मई को लॉकडाउन की अवधि को 31 मई तक बढ़ा दिया गया है और ये लॉकडाउन का चौथा चरण है. बता दें कि 25 मार्च से देश में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को लागू कर दिया था और इसे अब तक तीन बार बढ़ाया जा चुका है. मार्च में ही आरबीआई ने सभी तरह के लोन के पेमेंट पर मोराटोरियम यानी 3 महीने की मोहलत दी थी. इसके तहत मार्च-अप्रैल और मई इन तीन महीनों के लिए लोगों को सभी तरह के लोन की किस्त चुकाने के लिए मोहलत मिली है. हालांकि ये सिर्फ छूट है, इसे कर्ज की किस्त माफी के तौर पर बिलकुल नहीं देखा जाना चाहिए. यानी सिर्फ किस्त देने को टाला जा सकता है. आगे जाकर स्थिति ठीक होने पर ईएमआई को देना होगा.


दरअसल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप के मुताबिक कहा गया है कि आरबीआई कर्ज अदायगी की मोहलत को तीन महीने के लिए और बढ़ाएगा. अगर ये फैसला लागू कर दिया जाता है तो लोन मोराटोरियम का ऑप्शन लेने के बाद लोगों और कंपनियों को 31 अगस्त, 2020 तक लोन की किस्त का पेमेंट टालने का ऑप्शन मिल जाएगा.


आरबीआई ने की थी बैठक जिसमे उठी मांग
आरबीआई की हाल ही में हुई एक बैठक में बैंकों और एनबीएफसी ने मांग की थी कि लोन मोराटोरियम की अवधि 3 महीने के लिए और बढ़ा दी जाए. माना जा रहा है कि इसी को मद्देनजर रखते हुए आरबीआई मोराटोरियम अवधि को आगे बढ़ाने को मंजूरी दे सकता है.


लोन की किस्त टालने का विकल्प लेना कितना कारगर
हालांकि ये सलाह दी जाती है कि लोन मोराटोरियम का ऑप्शन उन्हीं लोगों को लेना चाहिए जो वास्तव में आर्थिक संकट के कारण लोन की किस्त देने में सक्षम नहीं हैं. जो लोग अपने लोन, क्रेडिट कार्ड पेमेंट आदि को समय पर देने में सक्षम हैं उन्हें इसका पेमेंट तय समय पर ही करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि ईएमआई को आगे चलकर देना होगा और इसके चलते आपके लोन की कुल अवधि और इसका ब्याज बढ़ सकता है.


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