RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) आज सुबह 10 बजे अपनी मौद्रिक नीति का एलान करेगा. इसमें आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास और मौद्रिक नीति समिति के बाकी सदस्य क्या रुख अपनाते हैं, इस पर सभी की नजरें हैं. रिजर्व बैंक ने पिछली 9 क्रेडिट पॉलिसी में लगातार रेपो रेट जैसी नीतिगत दरों और बैंकों के लिए में कोई बदलाव नहीं किया है, जिसका अर्थ है कि फरवरी 2023 के बाद से आरबीआई ने क्रेडिट पॉलिसी में दरों को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा हुआ है. आरबीआई की मौद्रिक पॉलिसी समिति (MPC) की बैठक 7 अक्टूबर से शुरू हुई है और आज इस मीटिंग के फैसलों का एलान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास करने जा रहे हैं.


क्या हो सकता है आरबीआई का फैसला-इकोनॉमिस्ट्स और आर्थिक जानकारों की राय


विभिन्न बिजनेस चैनल्स और आर्थिक संस्थानों के इकोनॉमिस्ट्स और आर्थिक जानकारों की राय इस बार बंटी हुई है. कुछ का कहना है कि आरबीआई इस बार ब्याज दरों में 0.25-0.50 फीसदी की कटौती कर सकता है. वहीं कुछ जानकारों के मुताबिक रिजर्व बैंक इस बार भी कोई कटौती ना करते हुए लगातार 10वीं बार ब्याज दरों को स्थिर रखेगा. 


RBI के फैसले का आम जनता और आप पर क्या असर होगा?


आरबीआई अगर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करता है तो इसके असर से बैंकों पर सस्ता कर्ज नहीं करने का कोई कारण नहीं होगा और देश में कर्ज की दरों की मौजूदा स्थिति बरकरार रह सकती है. चूंकि आरबीआई के ब्याज दरों को सस्ता करने के बाद बैंकों को भी अपने लोन की दरें सस्ती करने का दबाव होता है जिसके बाद बैंक अपने होम लोन, कार लोन आदि को सस्ता कर सकते हैं तो आपके लिए इस फेस्टिव सीजन में अच्छा तोहफा मिल सकता है.


ग्लोबल स्थितियां क्या हैं जिनका आरबीआई पॉलिसी पर पड़ेगा असर


इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने वित्त वर्ष 2024 के लिए 3.2 फीसदी ग्लोबल ग्रोथ का अनुमान दिया है. हालांकि जियो-पॉलिटिकल टेंशन और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता का असर इस ग्लोबल ग्रोथ के आंकड़े पर देखा जा सकता है. इससे लड़ने के लिए दुनियाभर के बैंकों को कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं और ऐसा होना शुरू हो गया है.


भारत की जीडीपी ग्रोथ देखें तो ये वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 7.2 फीसदी पर रही है जो विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है और इसने ग्लोबल ग्रोथ को पीछे छोड़ा है.


अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बीती फेडरल रिजर्व की पॉलिसी में ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की कटौती की है. इसके बाद दुनियाभर के बैंकों में नीतिगत दरों में बदलाव देखा जा रहा है. 


यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की है.


चीन के सेंट्रल बैंकों ने अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कई उपाय किए हैं जिनका असर इसकी ग्रोथ पर आने की संभावना है.


रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के लिए आज की क्रेडिट पॉलिसी अहम क्यों


भारत के केंद्रीय बैंक आरबीआई के लिए ये पॉलिसी काफी अहम है क्योंकि इस समय ग्लोबल अस्थिरता अपने पीक पर चल रही है- ऐसा कहा जा सकता है. ईरान-इजरायल जंग के चलते फूड चेन सप्लाई के बिगड़ने का अंदेशा है जो कई देशों के बीच कारोबार के लिए महत्वपूर्ण जरिया है. इन सब स्थितियों को देखते हुए भले ही भारत में इस समय महंगाई दर आरबीआई के तय लक्ष्य के आसपास है लेकिन सतर्कता बरतते हुए रिजर्व बैंक कुछ अहम फैसले ले सकता है.


रिजर्व बैंक के पास ये मौका है कि वो चाहे तो ग्लोबल अस्थिरता के बीच रेपो रेट में कटौती का फैसला ले सकता है या रेपो रेट में कोई बदलाव ना करने का रुख कायम रख सकता है जैसे कि पिछली 9 क्रेडिट पॉलिसी से किया जा रहा है.


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