RBI Monetary Policy Updates: रेपो रेट और रिवर्स रिपो रेट में कोई बदलाव नहीं, जानें आरबीआई गर्वनर ने क्या कहा

भारतीय रिजर्व बैंक ने शक्रवार को पेश द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा. वहीं केन्द्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत गिरावट आने का नया अनुमान व्यक्त किया है. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये उदार रुख को कायम रखते हुए कहा है कि कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये वह आगे भी नीतिगत दर में कटौती समेत हर संभव कदम उठाएगा. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति के उच्च स्तर को देखते हुए एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया. उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये जरूरी कदम उठाये जाएंगे. एमपीसी के आज के निर्णय से जहां रेपो दर 4 प्रतिशत पर बरकरार है, वहीं रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर बनी रहेगी. आर्थिक वृद्धि के अनुमान के बारे में दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में इसमें 7.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी. तीसरी तिमाही और चौथी तिमाही में इसमें क्रमश: 0.1 प्रतिशत और 0.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया गया है.

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 04 Dec 2020 11:17 AM
रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति बैठक के नतीजों की घोषणा के चलते आज शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 200 अंक से अधिक चढ़ गया. बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 202.71 अंक यानी 0.45 प्रतिशत मजबूत होकर 44,835.36 अंक पर रहा. इसी तरह एनएसई का निफ्टी भी 66.10 अंक यानी 0.50 प्रतिशत की तेजी के साथ 13,200 अंक पर कारोबार कर रहा था. सेंसेक्स की कंपनियों में अल्ट्राटेक सीमेंट को सबसे ज्यादा करीब चार फीसदी का फायदा हुआ. इसके बाद एलएंडटी, एमएंडएम, मारुति, ओएनजीसी, भारती एयरटेल, पावरग्रिड और आईटीसी का स्थान रहा.

इस साल भारत की जीडीपी ग्रोथ माइनस 7.5 फीसदी रह सकती है. रिजर्व बैंक ने अनुमान जताया है कि इस साल दूसरी छमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ पॉजिटिव रह सकती है.
आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ +0.1 फीसदी, चौथी तिमाही में +0.7 फीसदी रहने का अनुमान है.
रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति ने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में महंगाई दर एक सीमित दायरे में बनी रहेगी. इस बार खरीफ फसल की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है. मानसून अच्छा रहने की वजह से फसल की रिकॉर्ड उपज हो सकती है.
आरबीआई गर्वनर ने कहा है कि एमपीसी ने मुदास्फीति को तय लक्ष्य के भीतर रखने के साथ टिकाऊ बढ़ोत्तरी को रिवाइव करने और कोविड-19 के असर को कम करने के लिए मौद्रिक नीति में जरूरत के हिसाब से उदार रखने का फैसलाकिया है. यह चालू वित्त और अगले साल तक जारी रह सकता है.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खुदरा महंगाई के वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी, चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है.
कोरोना महामारी के खतरे और बढ़ती महंगाई के बीच यह लगातार तीसरी बार है, जब भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यों की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है.
आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट 4 फीसदी पर जबकि रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है.

बैकग्राउंड

मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मंगलवार 2 दिसंबर को अपनी बैठक शुरू कर दी है और आज शुक्रवार को अपना डिसजन अनाउंस करेगी. इस बैठक से कई निर्णयों की उम्मीद की जा रही है.


 


अर्थशास्त्रियों ने आरबीआई से रेपो दर में और कटौती की उम्मीद नहीं की है. वर्तमान में यह मई के बाद से 4 फीसदी के ऐतिहासिक कम स्तर पर है. मार्च में दरों में 115 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी जब देश कोविड-19 के संकट से जूझ रहा था. रिवर्स रेपो रेट 3.35% है.


 


जीडीपी पूर्वानुमान हो सकता है संशोधित
भारत की जीडीपी में पहली तिमाही में 24 फीसदी की गिरावट के बाद दूसरी तिमाही में 7.5 फीसदी की गिरावट आई थी. यह आरबीआई के 8.6 फीसदी गिरावट के अनुमान से बेहतर रही थी. अपेक्षा से बेहतर रहने के बाद आरबीआई को इस नीति में जीडीपी पूर्वानुमान को संशोधित कर -9.5 फीसदी से -7 से -9 फीसदी कर सकता है.


 


मुद्रास्फीति चिंता का कारण
मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के लिए चिंता का एक महत्वपूर्ण कारण होगा, क्योंकि अक्टूबर में यह लगभग साढ़े छह साल का उच्चतर 7.61 फीसदी थी और आरबीआई को उम्मीद है कि यह वित्तीय पर्ष 2020 की दूसरी छमाही में 5 फीसदी से नीचे आ जाएगी.  इसके अलावा कमेटी कैश रिजर्व रेशयो (सीआरआर) को बढ़ाकर अतिरिक्त लिक्विडिटी चिंता को दूर करने की कोशिश करेगी. इसमें मार्च में 1 फीसदी की कटौती की गई थी और मार्च 2021 में रोल बैक किया जाना था.


 


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