नई दिल्ली: मौद्रिक नीति समीक्षा के लिये रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक सोमवार को मुंबई में शुरू हो गई. माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में बदलाव नहीं करेगा और उसे अपरिवर्तित रख सकता है. अगर ऐसा होता है तो बैंकों के कर्ज की दरों में कोई बदलाव नहीं होगा और आपको भी सस्ते कर्ज की उम्मीदों को छोड़ना होगा.


विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक वृद्धि दर के अपेक्षाकृत कम रहने और मुद्रास्फीति के नरम पड़ने के बावजूद आरबीआई रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा. एमपीसी की बैठक पांच दिसंबर तक चलेगी. एमपीसी का फैसला आरबीआई की वेबसाइट पर पांच दिसंबर दोपहर में डाला जाएगा.


पिछली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा. केंद्रीय बैंक ने चेतावनी देते हुए कहा था कि तेल के दाम में उतार-चढ़ाव और वैश्विक वित्तीय स्थिति कड़ी होने से विकास दर और महंगाई के सामने ज्यादा जोखिम है.


डॉलर, कच्चे तेल के दाम
पिछली मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हुआ है और 70 के महत्वपूर्ण स्तर से नीचे आ गया है. वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के भाव भी नरम हुए और 86 डॉलर प्रति बैरल से नीचे 60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गये हैं.


हालांकि आर्थिक विकास दर सितंबर तिमाही में नरम होकर 7.1 फीसदी रही. इससे पूर्व पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में यह दो साल के उच्च स्तर 8.2 फीसदी पर पहुंच गयी थी. फल, सब्जी और अंडा, मछली जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति भी अक्तूबर महीने में 3.31 फीसदी रही जो एक महीने का न्यूनतम स्तर है.