RBI MPC Meeting: आरबीआई की क्रेडिट पॉलिसी का आज ऐलान कर दिया गया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक पॉलिसी समिति ने बहुमत के साथ नीतिगत दरों में बदलाव ना करने का फैसला लिया है. लिहाजा बैंकों के लिए कर्ज देने की दर में कोई बदलाव नहीं आया है और रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बरकरार रहेगा. वित्त वर्ष 2025 में महंगाई दर के 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान दिया है और इसे बरकरार रखा गया है.


जानिए आरबीआई गवर्नर की पॉलिसी की खास बातें क्या हैं-


ग्लोबल स्लोडाउन के पीछे कई कारण रहे जो कोविड के संकटकाल से शुरू होकर साल 2022 की फरवरी में रूस-यूक्रेन संकट से चलते हुए अब ग्लोबल अस्थिरता के रूप में दिख रहे हैं. मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने 7 अक्टूबर से 9 अक्टूबर के बीच अपनी बैठक की है और इसके बाद सामूहिक रूप से फैसला लिया और MSLR को भी समान स्तरों यानी 6.75 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला लिया है.


आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बैंक रेट 6.75 फीसदी की दर पर रखा गया है और आरबीआई की एमपीसी ने अपने रुख को बदलकर न्यूट्रल रुख को अपनाया है जो ग्लोबल परिस्थितयों के बदलने के बाद देश की आर्थिक स्थिति को संयमित और विकास के पथ पर रहने के मुताबिक किया गया है. आरबीआई गवर्नर ने वैश्विक तनाव के चलते महंगाई और रुपये पर असर दिखने की बात कही लेकिन ये भी कहा कि भारत के रुपये की स्थिति खतरे में नहीं है और इसे रेंजबाउंड कहा जाएगा. 


चालू वित्त वर्ष के लिए आरबीआई ने ये दिया GDP का अनुमान


आरबीआई गवर्नर ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी दर 7.2 फीसदी पर रहने का अनुमान है. इसमें तो कोई बदलाव नहीं है लेकिन आगे के जीडीपी अनुमानों में बदलाव है.


वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर में जीडीपी की विकास दर का अनुमान 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया गया है.


वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर में जीडीपी की विकास दर का अनुमान 7.3 फीसदी से बढ़ाकर 7.4 फीसदी कर दिया गया है.


वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में यानी जनवरी-मार्च में जीडीपी की विकास दर का अनुमान 7.2 फीसदी से बढ़ाकर 7.4 फीसदी कर दिया गया है.


अगले वित्त वर्ष यानी FY 2025-26 की पहली तिमाही में भी विकास दर का अनुमान बढ़ाया है और इसे 7.3 फीसदी पर कर दिया है जो पहले 7.2 फीसदी पर था.


आरबीआई गवर्नर ने इस समय क्रूड के बदलते दामों पर बड़ा ध्यान देने की बात कही है और ये भी कहा कि इसमें आ रहे बदलवों का ग्लोबल और राष्ट्रीय असर देखा जाएगा. महंगाई, जीडीपी के अनुमानों पर इसके चलते बड़ा ध्यान आरबीआई की ओर से दिया जाता रहेगा.


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