(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Interest Rate Hike: अगले सप्ताह आरबीआई की अहम बैठक, जानें अब कितना महंगा हो सकता है ब्याज
RBI MPC Meeting 2023: आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए हर दो महीने में बैठक करती है. इस बैठक के नतीजे 06 अप्रैल को सामने आएंगे.
RBI REPO Rate Hike: गिने-चुने दिनों के बाद नया वित्त वर्ष (FY24) शुरू होने वाला है और नए वित्त वर्ष के पहले सप्ताह में रिजर्व बैंक की एक अहम बैठक (RBI MPC Meeting April 2023) होने वाली है. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए यह बैठक ऐसे समय कर रही है, जब तमाम सेंट्रल बैंक्स चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. अमेरिका के फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) समेत कई सेंट्रल बैंक्स ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं, जबकि घरेलू मोर्चे पर महंगाई (Retail Inflation) की चुनौती है. ऐसे में ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक अगली बैठक में रेपो रेट (Repo Rate Hike Forecast) को 25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.25 फीसदी बढ़ाने का फैसला कर सकता है.
अगले सप्ताह होगी बैठक
रिजर्व बैंक की वित्त वर्ष 2023-24 की पहली एमपीसी बैठक 03 अप्रैल से शुरू हो रही है. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए हर दो महीने में बैठक करती है. इस बैठक के नतीजे 06 अप्रैल को सामने आएंगे. यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब खुदरा महंगाई की दर अभी भी रिजर्व बैंक के 06 फीसदी के दायरे से ऊपर है. रिजर्व बैंक ब्याज दरों पर निर्णय लेते समय खुदरा महंगाई को सबसे ज्यादा ध्यान में रखता है. इसके अलावा भी कुछ घरेलू व बाहरी फैक्टर सेंट्रल बैंक के निर्णयों को प्रभावित करते हैं.
इन फैक्टर्स का होगा असर
अगली मॉनिटरी पॉलिसी बैठक में नीतिगत दरों पर फैसला करते वक्त कमेटी दो अहम पहलुओं पर गौर करेगी. इनमें उच्च महंगाई दर और हाल के समय में विभिन्न केंद्रीय बैंकों खासकर यूएस फेडरल रिजर्व, यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड की ओर से उठाए गए कदम शामिल हैं.
महंगाई बढ़ा रही है चिंता
महंगाई को काबू करने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) मई 2022 से लगातार नीतिगत दरों में वृद्धि कर रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) के बाद ग्लोबल सप्लाई चेन में आए व्यवधान जैसे बाहरी कारकों को महंगाई बढ़ने की वजह माना जा रहा है. नवंबर और दिसंबर 2022 में 6 फीसदी से नीचे रहने वाली खुदरा महंगाई एक बार फिर रिजर्व बैंक के 6 फीसदी के टारगेट से ऊपर निकल गई है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (CPI inflation) जनवरी महीने में 6.52 फीसदी, जबकि फरवरी महीने में 6.44 फीसदी पर पहुंच गई थी.
अभी इतनी है रेपो रेट
फरवरी में हुई MPC बैठक में रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों यानी रेपो रेट (Repo Rate) में 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की थी. इससे रेपो रेट बढ़कर 6.50 फीसदी पर पहुंच गई. मई 2022 से लेकर अब तक दरों में 2.50 फीसदी की वृद्धि की गई है.
बदल सकता है आरबीआई का रुख
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस का मानना है, "पिछले दो महीनों में खुदरा महंगाई दर 6.5 फीसदी और 6.4 फीसदी रही है. नकदी की उपलब्धता अब लगभग तटस्थ है. हम ऐसी उम्मीद कर सकते हैं कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में एक बार फिर से 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि कर सकता है. साथ ही यह संकेत देने के लिए ब्याज दरों में तेजी का दौर खत्म हो चुका है, वह अपने रुख को बदलकर न्यूट्रल (तटस्थ) कर सकता है."
आखिरी बार दरें बढ़ने का अनुमान
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के चीफ इकोनॉमिस्ट डी.के. पंत भी नीतिगत दर में 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की उम्मीद जता रहे हैं. उनका मानना है कि मौद्रिक नीति को सख्त करने के क्रम में ब्याज दरों में यह आखिरी वृद्धि हो सकती है. पंत ने कहा कि नीतिगत दरों में पहले की गई बढ़ोतरी, वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में नरमी और बेस इफैक्ट के कारण यहां से महंगाई में गिरावट दिख रही है.
ऐसी हो सकती है एमपीसी की राय
वहीं पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर (आर्थिक सलाहकार सेवाएं) Ranen Banerjee का कहना है कि आपूर्ति से जुड़ी बाधाओं की वजह से भारत में मुद्रास्फीति अधिक है. जैसा कि पिछली मौद्रिक समिति की बैठक में दो सदस्यों ने ब्याज दरों में वृद्धि का विरोध किया था. संभवत: इस बार अधिकांश सदस्य ब्याज दरों में वृद्धि रोकने के पक्ष में वोट कर सकते हैं.
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