RBI MPC Minutes: भारतीय रिजर्व बैंक के मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के सदस्यों ने खाद्य महंगाई को एक बड़ा जोखिम करार दिया है. आरबीआई एमपीसी के सदस्यों ने पॉलिसी रेट्स पर सेंट्रल बैंक के रूख को सही ठहराया है. अप्रैल 2024 के पहले हफ्ते में हुए आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के मिनट्स जारी हुए हैं जिसमें से बातें निकलकर सामने आई है. 


खाद्य महंगाई सबसे बड़ा जोखिम


भारतीय रिजर्व बैंक के मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी मीटिंग के मिनट्स 19 अप्रैल 2024 को जारी किए गए. एमपीसी बैठक में सदस्यों ने मॉनिटरी पॉलिसी को लेकर आरबीआई के मौजूदा रूख पर अपना भरोसा जताया है. पर इन सदस्यों को खाद्य महंगाई की चिंता सता रही है.  एमपीसी के सदस्य माइकल देबब्रत पात्रा ने कहा, मौजूदा महंगाई के असर और खाद्य महंगाई दर को लेकर जो डेटा सामने आ रहा है वो बताने के लिए काफी है कि खाद्य महंगाई का जोखिम बना हुआ है. उन्होंने मई 2024 तक तापमान में बढ़ोतरी के चलते कीमतें बढ़ने की संभावना जाहिर की है. उन्होंने अपने नोट में लिखा कि ग्लोबल खाद्य कीमतों में तेजी बने रहने और दूसरे कारणों के चलते इस बात के आसार है कि महंगाई दर वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही तक 2 से 6 फीसदी के टोलरेंस बैंड में बना रहेगा. उनके मुताबिक पॉलिसी के रूख में किसी भी प्रकार के बदलाव का अभी उचित समय नहीं है.  


महंगाई को लेकर अलर्ट रहने की दरकार


आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ये अनुमान जाहिर किया जा रहा कि महंगाई दर 2024-25 में 4.5 फीसदी तक घटकर आ सकता है. सप्लाई-साइड झटकों के उतार चढ़ाव, वैश्विक तनाव मॉनिटरी पॉलिसी पर इस बात का जोर दे रहे हैं कि महंगाई को लेकर बेहद सजग रहने की जरूरत है. आरबीआई गवर्नर ने ग्रामीण क्षेत्रों में डिमांड में मजबूती, उपभोक्ताओं के बढ़ते भरोसे, निजी खपत में तेजी के साथ दूसरे कारणों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था के ग्रोथ पर अपना भरोसा जताया है. आरबीआई गवर्नर ने कहा, महंगाई दर को कम करने के लिए पिछले दो वर्षों में जो लाभ हुआ है, उसे बरकरार रखना होगा. उन्होंने कहा कि महंगाई दर को 4 फीसदी के लक्ष्य तक लाने के लिए काम करना होगा. हालांकि आरबीआई एमपीसी के एक और सदस्य जयंत वर्मा ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट कटौती किए जाने पर अपना वोट दिया. 


वैश्विक तनाव बढ़ा 


हालांकि आरबीआई की एमपीसी बैठक के बाद काफी कुछ बदल चुका है. इजरायल के ईरान पर हमले के बाद से ग्लोबल टेंशन बढ़ा हुआ है. कच्चा तेल समेत कमोडिटी के दामों में तेजी देखी जा रही है. जिससे महंगाई बढ़ने का खतरा है तो शेयर बाजारों में लगातार गिरावट देखी जा रही है. 


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