RBI MPC 2024: आरबीआई की एमपीसी बैठक से पहले एसबीआई रिसर्च ने बताया, कब मिलेगी महंगे कर्ज से राहत!
RBI MPC Meeting: एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई की ओर से रेपो रेट में पहली कटौती जून 2024 में की जा सकती है.

RBI Repo Rate Cut: बैंकिग सेक्टर की रेग्यूलेटर भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की तीन दिवसीय बैठक 6 फरवरी 2024 से शुरू होने जा रही है और 8 फरवरी को आरबीआई एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों का एलान करेगा. आरबीआई की एमपीसी बैठक से पहले देश के सबसे बड़े एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने अपने रिसर्च रिपोर्ट में कहा कि जून 2024 में आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. वहीं 8 फरवरी को एलान किए जाने वाली मॉनिटरी पॉलिसी में ब्याज दरें बढ़ोतरी नहीं होगी.
जून 2024 में रेपो रेट में कटौती संभव!
एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष द्वारा तैयार किए रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले मॉनिटरी पॉलिसी में भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर रोक के रूख पर कायम रहेगा. रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई की ओर से रेपो रेट में पहली कटौती जून 2024 में की जा सकती है. वैसे अगस्त 2024 में ब्याज दरों में कटौती तय है. एसबीआई रिसर्च के मुताबिक 2023-24 में खुदरा महंगाई दर 5.4 फीसदी रहने का अनुमान है तो 2024-25 में 4.6 फीसदी से लेकर 4.8 फीसदी के बीच महंगाई दर रह सकता है.
2 वर्ष में 2.50 फीसदी बढ़ गया रेपो रेट
फरवरी 2023 के बाद से आरबीआई ने पांच मॉनिटरी पॉलिसी का एलान किया है लेकिन इन पॉलिसी एलानों में आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. जबकि मई 2022 के बाद से लेकर फरवरी 2023 के बीच दौरान आरबीआई ने 2.50 फीसदी रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी. खुदरा महंगाई दर के 7.80 फीसदी तक पहुंचने के बाद आरबीआई ने रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया. पिछले बढ़ोतरी फरवरी 2023 में की गई थी.
हूती विद्रोहियों के हमले ने बढ़ाई चिंता
एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत पूरी दुनिया में सर्विसेज महंगाई में कमी आई है. पर महंगे खाद्य वस्तुओं के चलते गुड्स इंफ्लेशन ज्यादा बना हुआ है. भारत में भी सर्विसेज इंफ्लेशन घट रहा है. पर हूती विद्रोहियों के लाल सागर में जहाजों पर हमले ने भारत समेत पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा रखी है. भारत का 50 फीसदी निर्यात और 30 फीसदी निर्यात इसी रास्ते से होता है. एक्सपोर्ट में व्यवधान पैदा होने से डिमांड सप्लाई की दिक्कतें पैदा हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक इस क्राइसिस से भारत में महंगाई बढ़ने का खतरा नहीं है पर हालात खराब होने पर लॉजिस्टिक कॉस्ट बढ़ सकता है., इसका असर ग्लोबल फूड प्राइसेज पर पड़ सकता है. जिसका असर देश में खुदरा महंगाई दर के बास्केट के इंपोर्टेड कॉम्पोमेंट पर पड़ सकता है.
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