RBI MPC Meeting: वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की तीन दिवसीय बैठक बुधवार 5 जून 2024 से शुरू हो चुकी है और 7 जून को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास बैठक में लिए फैसलों का एलान करेंगे. जानकारों का मानना है कि आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी का एलान करते हुए आरबीआई गवर्नर इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेंगे.
वैश्विक तनाव और सप्लाई दिक्कतों के चलते महंगाई अभी भी आरबीआई के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी का आंकड़ा 8.2 फीसदी रहा है. ऊंचे ब्याज दरों के बावजूद शानदार ग्रोथ रेट के आंकड़े के बाद आरबीआई की ओर से रेपो रेट में कटौती किए जाने के आसार बेहद कम है. आरबीआई ने फऱवरी 2023 के बाद रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. मई 2022 के बाद से लेकर फरवरी 2023 के बीच आरबीआई ने महंगाई पर नकेल कसने के लिए छह बार रेपो रेट को बढ़ाने का फैसला करते हुए 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था. लेकिन पिछले सात एमपीसी की बैठकों में पॉलिसी रेट्स में आरबीआई ने कोई बदलाव नहीं किया है.
एसबीआई ने अपने रिसर्च पेपर में कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में रेपो रेट में कटौती की उम्मीद करता है. एसबीआई रिसर्च पेपर के मुताबिक मई महीने के लिए खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी के करीब रहने का अनुमान है और जुलाई में घटकर 3 फीसदी तक गिरने की संभावना है. रिसर्च नोट के मुताबिक अक्टूबर 2024 से लेकर वित्त वर्ष 2024-25 तक महंगाई दर 5 फीसदी के नीचे रहने के आसार हैं. मॉर्गन स्टैनली ने भी अपने नोट में कहा है कि 7 जून को आरबीआई की पॉलिसी में हमें पॉलिसी रेट्स में बदलाव की कोई उम्मीद नहीं है. वहीं चुनाव के खत्म होने के बाद सरकारी खर्च में बढ़ोतरी होगी जिससे नगदी बढ़ाने में मदद मिलेगी.
आरबीआई ने 4 फीसदी तक खुदरा महंगाई दर को लाने का लक्ष्य रखा हुआ है. अप्रैल 2024 में खदुरा महंगाई दर 4.83 फीसदी रही थी. आरबीआई के लिए महंगाई के मोर्चे पर राहत की बात ये है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल के नीचे जा फिसला है.
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