RBI MPC Meeting Update: भारतीय रिजर्व बैंक ने 8 फरवरी 2023 को मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में एक चौथाई फीसदी या 25 बेसिस प्वाइंट रेपो रेट में इजाफा कर उसे बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया. लेकिन मॉनिटरी पॉलिसी की इस बैठक में एमपीसी के एक सदस्य जयंत आर वर्मा ने रेपो रेट में एक फीसदी बढ़ोतरी का विरोध किया था. उन्होंने कम होती महंगाई और आर्थिक विकास की चिंता के बीच ब्याज दरों में बढ़ोतरी के फैसले से असहमति जताई थी. आरबीआई ने मॉनिटरी पॉलिसी बैठक के मिनट्स जारी किए हैं जिससे ये जानकारी निकलकर सामने आई है. हालांकि एमपीसी की बैठक के मिनट्स के मुताबिक आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि आरबीआई सख्त मॉनिटरी पॉलिसी के रूख पर कायम रहेगा. 


जयंत आर वर्मा ने अपनी दलील में कहा कि 6.50 फीसदी रेपो रेट, कीमतों में स्थिरता को बनाये रखने के जरुरी पॉलिसी रेट्स से बेहद ज्यादा है और इस बढ़ोतरी की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर एमपीसी सदस्यों ने 25 बेसिस प्वाइंट रेपो रेट बढ़ाने पर अपनी सहमति दी है लेकिन महंगाई के अनुमान में कमी और ग्रोथ रेट की चिंताओं के बीच मौजूदा हालात में इसकी जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं रेपो रेट बढ़ाने के प्रस्ताव के विरोध में वोट करता हूं. 


8 फऱवरी को आरबीआई ने एमपीसी की बैठक के बाद 25 बेसिस प्वाइंट रेपो रेट को बढ़ाते हुए 6.50 फीसदी कर दिया था. 9 महीनों में ये छठा मौका था तब महंगाई में तेजी के चलते  आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी का फैसला लिया था.  एमपीसी के छह सदस्यों में से चार ने रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में वोट किया था. उनका मानना था कि महंगाई दर अभी भी लक्ष्य से ज्यादा है. 


जयंत आर वर्मा ने कहा कि 2021-22 वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मॉनिटरी पॉलिसी महंगाई को लेकर इदासीन था जिसकी कीमत 2022-23 में हमें जबरदस्त महंगाई के रूप में उठानी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि 2023-24 में हमें धीमी आर्थिक विकास का सामना ना करना पड़े.  


हालांकि आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के एलान के चार दिनों बाद ही जनवरी महीने में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के 7 फीसदी टोलरेंस बैंड को पार करते हुए 6.52 फीसदी पर जा पहुंचा है जिससे आरबीआई की चिंता बढ़ गई है. 


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