Repo Rate Hike: कर्ज महंगा करने पर आरबीआई में एकमत नहीं! MPC के सदस्य जयंत वर्मा ने रेपो रेट और बढ़ाने को लेकर किया आगाह
RBI MPC: आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के बाद बैंकों ने कर्ज तो महंगा कर दिया लेकिन डिपॉजिट्स रेट्स बढ़ाने में कंजूसी बरती है.

RBI MPC On Repo Rate Hike: कर्ज और महंगा करने को लेकर अब आरबीआई के मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (RBI MPC) के सदस्य के विचारों में साफतौर पर मतभेद नजर आ रहा है. आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के सदस्य प्रोफेसर जयंत आर वर्मा ( Proffesor Jayanth R Varma) ने पॉलिसी रेट्स अब नहीं बढ़ाने की वकालत की है. 28 से 30 सितंबर, 2022 को आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में प्रोफेसर वर्मा ने 50 बेसिस प्वाइंट रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में वोट दिया. पर उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यहां से अब ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जानी चाहिए.
आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के बाद बैंकों ने कर्ज तो महंगा कर दिया लेकिन डिपॉजिट्स रेट्स बढ़ाने में कंजूसी बरती है. इसे लेकर प्रोफेसर वर्मा ने कहा कि पॉलिसी रेट्स में बढ़ोतरी को सिस्टम में पूरे तरीके से लागू नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था पर मॉनिटरी पॉलिसी निर्णयों का असर अभी तक देखने को नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि रेपो रेट जितनी बढ़ाई गई है कि उसका केवल एक तिहाई फीसदी ही असर डिपॉजिट रेट्स में बढ़ोतरी पर देखने को मिला है.
प्रोफेसर वर्मा ने कहा कि कर्ज पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी गई लेकिन उनका मानना है कि डिपाजिट रेट्स नहीं बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने का असर दिखने में 5 से 6 तिमाही तक का समय लग सकता है. उन्होंने बैठक में कहा कि बगैर किसी रिएलटी चेक के रेपो रेट बढ़ाते रहे तो इसका गलत प्रभाव देखने को मिल सकता है.
दरअसल अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर के 7.79 फीसदी रहने के बाद आरबीआई ने चार चरणों में रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़ाकर 5.90 फीसदी कर दिया. जिससे लोगों की ईएमआई महंगी हो गई है जिसका असर लोगों के बचत पर पड़ा है.
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