प्रॉपर्टी पर लोन के मामले में रिजर्व बैंक ने ग्राहकों के हक में बड़ा फैसला लिया है. अब अगर लोन चुका देने के बाद प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट वापस देने में बैंक, एनबीएफसी या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां देरी करते हैं तो उन्हें ग्राहकों को हर्जाना देना पड़ेगा. रिजर्व बैंक ने इस संबंध में बुधवार की सुबह नया आदेश जारी किया है.


रिजर्व बैंक को मिल रही थी शिकायत


रिजर्व बैंक ने यह ऑर्डर स्मॉल फाइनेंस बैंकों समेत सभी कमर्शियल बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों व एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों को भेजा है. दरअसल रिजर्व बैंक को इस बारे में शिकायतें मिल रही थीं कि ग्राहकों के द्वारा लोन को पूरा चुका देने या सेटल करने के बाद भी बैंकों व एनबीएफसी आदि के द्वारा प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट देने में देरी की जा रही है. रिजर्व बैंक ने कहा कि इस देरी के चलते विवाद और मुकदमेबाजी जैसी स्थितियां पैदा हो रही है.


क्या कहता है फेयर प्रैक्टिस कोड


सेंट्रल बैंक ने सभी संबंधित वित्तीय संस्थानों को ताजे ऑर्डर में रिस्पॉन्सिबल लेंडिंग कंडक्ट यानी जिम्मेदार कर्ज व्यवहार की याद दिलाई. आरबीआई के फेयर प्रैक्टिस कोड इस संबंध में साफ हिदायत देते हैं कि अगर ग्राहक प्रॉपर्टी लोन की सारी किस्तें चुका दें या लोन को सेटल करा लें तो ऐसी स्थिति में उन्हें तत्काल प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट मिल जाने चाहिए.



रिजर्व बैंक ने दिया इतना समय


सेंट्रल बैंक के ताजे आदेश में कहा गया है कि सभी रेगुलेटेड एंटिटीज को (कमर्शियल बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, एनबीएफसी व एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी आदि) लोन की सारी किस्तें मिलने या सेटल होने के 30 दिनों के भीतर ग्राहकों को सारे ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट लौटाने होंगे. ग्राहकों को ये ऑप्शन दिया जाएगा कि वे अपनी सुविधा के अनुसार या तो संबंधित ब्रांच से डॉक्यूमेंट ले सकते हैं या फिर उस बांच या कार्यालय से ले सकते हैं, जहां डॉक्यूमेंट को फिलहाल रखा गया है.


बैंकों को करने होंगे ये काम


सभी बैंकों को इस बात की भी हिदायत दी गई है कि वे लोन के सैंक्शन लेटर में सारे डॉक्यूमेंट को वापस करने की तारीख व जगह का जिक्र करेंगे. अगर कर्ज लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है, ऐसी स्थिति में कानूनी उत्तराधिकारी को सारे कागजात वापस करने के संबंध में बैंकों को स्पष्ट प्रक्रिया तय करनी होगी और इस प्रक्रिया की जानकारी अपनी वेबसाइट पर भी दिखानी होगी.


एक दिन का हर्जाना 5 हजार


अगर बैंक या अन्य संबंधित संस्थान तय समय के भीतर यानी लोन चुकता होने के 30 दिनों में डॉक्यूमेंट को वापस नहीं कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें गाहकों को हर्जाना देना पड़ेगा. बैंकों व संस्थानों को सबसे पहले देरी के बारे में ग्राहकों को बताना होगा. अगर देरी की वजह उनकी हुई तो हर दिन की देरी के बदले ग्राहकों को 5000 रुपये के हिसाब से हर्जाना देना होगा. डॉक्यूमेंट को किसी तरह का नुकसान हो जाने की स्थिति में यह बैंकों व संबंधित संस्थानों की जिम्मेदारी होगी कि वे ग्राहक को फिर से डॉक्यूमेंट निकलवाने में मदद करें.


ये भी पढ़ें: मंदी से भी मिल रही है मदद, इसी साल जर्मनी को पार कर जाएगी भारत की अर्थव्यवस्था