RBI New Rule: भारतीय रिजर्व बैंक का नया नियम होम लोन लेने वाले लोगों को झटका दे सकता है. क्योंकि यह नियम एक निश्चित रेट पर स्विच करने का विकल्प दे रहा है. ऐसे में बढ़ती ब्याज दरों के बीच बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को समान किस्त वाले ब्याज दर में इजाफा करने के लिए मजबूर किया जा सकता है. लोन रीसेट के दौरान आपको फिक्स्ड ब्याज दर का विकल्प दिया जाएगा.
आरबीआई के नए दिशानिर्देश के तहत लोन अप्रूव लेटर में भविष्य में फ्लोटिंग से तय ब्याज दर में परिवर्तन से जुड़ी लागतों का जिक्र करना होगा. कर्जदारों को यह बताने की आवश्यकता होगी कि दरों में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की स्थिति में भी ईएमआई मासिक ब्याज भुगतान को कवर करेगी. इससे आपके मंथली ईएमआई में बढ़ोतरी हो सकती है.
सरल शब्दों में कहे तो लोन का ब्याज बढ़ता है तो फ्लोटिंग रेट बढ़ाने के लिए बैंक और फाइनेंस कंपनियां मजबूर हो सकती हैं. जब फ्लोटिंग में इजाफा होता है तो फ्लोटिंग बेस्ड लोन फिक्स्ड ब्याज दर में भी इजाफा होगा. इसका मतलब है कि फिक्स्ड रेट पर भी लोन की ईएमआई में बढ़ोतरी हो सकती है.
पर्सनल फ्लोटिंग रेट रीसेट पर आरबीआई ने अपने सर्कुलर में कहा कि कर्जदारों को सिर्फ मौजूदा ब्याज दर के आधार पर रिपेमेंट क्षमता का आंकलन नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें यह तय करना होगा कि ब्याज दरें बढ़ने पर भी उधारकर्ता अपने भुगतान दायित्वों को पूरा कर सकें.
पिछले कुछ समय से सिंगल लोन सर्किल में 6 फीसदी तक चढ़ाव और उतार देखा गया है. इसका मतलब है कि ब्याज का बर्डन तेजी से बढ़ा है और लोन के टेन्योर में भी इजाफा हुआ है. ऐसे में अपने ईएमआई को एडजस्ट करने के लिए ईएमआई चुकाने की अवधि में इजाफा किया है या फिर लोन का ब्याज दर बढ़ाया है.
आरबीआई के नए नियम के मुताबिक अगर रिपेमेंट किया जाता है तो मौजूदा ब्याज और अधिकतम ब्याज का आंकलन करना होगा. बैंक मौजूदा ब्याज के आधार पर ही रिपेमेंट का विकल्प देंगे. टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि अगर बैंकों मजबूर किया जाता है तो बैंक जोखिम से बचने के लिए पर्याप्त मार्कअप शामिल करेंगे. ऐसे में कुछ के लिए लोन लेना भी मुश्किल हो सकता है.
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