अनिश्चित वैश्चिक माहौल के बीच कई संगठनों ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर (India Growth Rate) के अनुमान को हाल-फिलहाल में कम किया है. इन संगठनों में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भी शामिल है. आईएमएफ ने 2023 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर अब 6 फीसदी से कम कर दिया है. रिजर्व बैंक (RBI) ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के इस अनुमान पर आपत्तियां जताई है और कहा है कि इसमें कुछ गलतियां संभव है.


अनुमान से बेहतर होंगे आंकड़े


रिजर्व बैंक ने ये बातें अपनी ताजी स्टेट ऑफ दी इकोनॉमी रिपोर्ट (RBI State Of The Economy Report) में कही हैं. रिजर्व बैंक का कहना है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान लगाने में कई बहुपक्षीय संगठनों ने गलतियां की हैं. सेंट्रल बैंक ने खास तौर पर आईएमएफ का नाम लिया है. आरबीआई का कहना है... अभी कहना जल्दीबाजी है, लेकिन ताजा-तरीन आंकड़े इस बात का संकेत करते हैं कि कई बहुपक्षीय संगठन खास तौर पर आईएमएफ को पूर्वानुमान में गलतियों का सामना करना पड़ सकता है.  वास्तविक आंकड़े उन्हें सकारात्मक तौर पर हैरान कर सकते हैं. इसे दूसरे शब्दों में कहें तो रिजर्व बैंक का मानना है कि जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) के वास्तविक आंकड़े जब सामने आएंगे, वे आईएमएफ के अनुमान से कहीं बेहतर हो सकते हैं.


ये है आईएमएफ का अनुमान


अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2023 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.1 फीसदी से घटाकर 5.9 फीसदी कर दिया है. इसके लिए आईएमएफ ने घरेलू उपभोग और चुनौतीपूर्ण बाह्य परिस्थितियों का हवाला दिया है. आईएमएफ ने अपने सालाना वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (IMF World Economic Outlook) में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया है. इससे पहले जनवरी में आईएमएफ ने कहा था कि भारत वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 फीसदी की दर से वृद्धि कर सकता है.


आरबीआई ने किया ये अनुमान


वहीं आरबीआई का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार कम तो होगी, लेकिन यह 6 फीसदी से नीचे नहीं जाने वाली है. रिजर्व बैंक का दावा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की वृद्धि दर 7 फीसदी रह सकती है. वहीं 1 अप्रैल से शुरू हुए नए वित्त वर्ष के बारे में आरबीआई का अनुमान है कि इस दौरान भारत की जीडीपी 6.4 फीसदी की दर से बढ़ सकती है.


रिजर्व बैंक को इस बात का भरोसा


रिजर्व बैंक को इस बात का भरोसा है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि करने वाले प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा. रिजर्व बैंक का यह भी दावा है कि भारत वैश्विक आर्थिक वृद्धि में जितना योगदान देगा, वह अमेरिका और यूरोपीय संघ के योगदानों को मिलाने से भी ज्यादा रहने वाला है. आरबीआई के अनुसार, भारत अकेले ग्लोबल ग्रोथ में 15 फीसदी योगदान देगा.


अल नीनो से हो सकता है जोखिम


सेंट्रल बैंक ने अपनी इस बात को ठोस आधार प्रदान करने के लिए तर्क भी परोसे हैं. बकौल सेंट्रल बैंक, भारत में मांग की स्थिति कुल मिलाकर अब तक मजबूत बनी हुई है. शहरी मांग तेजी से बढ़ी है. ग्रामीण मांग के संकेतक लगातार सुधर रहे हैं. बंपर रबी फसल की उम्मीदों ने इसे और बल दिया है. हालांकि अल नीनो से ग्रोथ को कुछ खतरा है.


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