RBI ने एक और बैंक पर लगाई पाबंदी, केवल 35 हजार रुपये निकाल पाएंगे ग्राहक
आरबीआई ने बेंगलुरु स्थित श्री गुरू राघवेंद्र सहकारी बैंक पर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर बैन लगा दिया है और अब इस बैंक के ग्राहक केवल 35000 रुपये तक ही निकाल सकेंगे.
नई दिल्ली: पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक यानि पीएमसी के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने एक और बैंक पर पाबंदी लगा दी है. जानकारी के मुताबिक आरबीआई ने बेंगलुरु स्थित श्री गुरू राघवेंद्र सहकारी बैंक पर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर बैन लगा दिया है और अब इस बैंक के ग्राहक केवल 35000 रुपये तक ही निकाल सकेंगे. साथ ही इस बैंक को किसी तरह का कोई लोन भी नहीं मिलेगा.
इस तरह ये बैंक किसी को लोन भी नदीं दे पाएगा और साथ ही इस बैंक के ग्राहक अपने सेविंग्स अकाउंट्स में से 35000 रुपये से ज्यादा की रकम नहीं निकाल सकेंगे. अगले 6 महीने तक इस बैंक में नए निवेश नहीं किए जा सकेंगे. आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस रद्द करने की कोई बात नहीं कही है, केवल बैंक पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने की ही बात कही है. आरबीआई ने ये एक्शन बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 की धारा 35 के तहत लिया है.
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बीजेपी एमपी तेजस्वी सूर्या ने लोगों से शांति की अपील करते हुए ट्वीट किया- मैं श्री गुरू राघवेंद्र कोऑपरेटिव बैंक में पैसे जमा करने वाले सभी लोगों से परेशान ना होने की अपील करता हूं. आदरणीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के संज्ञान में ये मामला है और वो व्यक्तिगत रूप से इसे देश रही हैं. उन्होंने आश्वासन दिया है कि जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा की जाएगी. मैं उनका धन्यवाद करता हूं.
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बैंक के चेयरमैन के रामाकृष्णा ने जमाकर्ताओं को आश्वासन देते हुए कहा कि उनका पैसा सौ फीसदी सुरक्षित है. उन्होंने कहा- आपका पैसा श्री गुरू राघवेंद्र सहकारी बैंक के साथ सौ फीसदी सुरक्षित है. ये मेरी जिम्मेदारी है.
बैंक डूबने पर ये हैं आरबीआई के नियम
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियम के अनुसार सभी कॉमर्शियल बैंक और को-ऑपरेटिव बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) के अंदर इंश्योरेंड होते हैं. इसके तहत बैंक के सभी खाता धारक एक लाख रुपये तक की राशि किसी भी हाल में बैंक के डूबने की स्थिति में भी प्राप्त करने के हकदार होते हैं. डीआईसीजीसी के तहत सेविंग, फिक्स्ड, करेंट, रेकरिंग आदि अकाउंट आते हैं. अगर किसी व्यक्ति का एक ही ब्रांच में एक से अधिक खाता है तो उस केस में भी खाता धारक को एक लाख रुपये की राशि मिलेगी.