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RBI ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक को टाला, जल्द होगी नई तारीखों की घोषणा
केंद्रीय बैंक ने स्वतंत्र सदस्यों की नियुक्ति में देरी के चलते कोरम पूरा न हो पाने की स्थिति के मद्देनजर बैठक को टाला है.
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को कहा कि उसने इस सप्ताह होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक को टालने का फैसला किया है और नई तारीखों की घोषणा शीघ्र की जाएगी.
केंद्रीय बैंक ने स्वतंत्र सदस्यों की नियुक्ति में देरी के चलते कोरम पूरा न हो पाने की स्थिति के मद्देनजर बैठक को टाला है. एमपीसी मुख्य रूप से ब्याज दरों पर फैसला करती है.
आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा मंगलवार से शुरू होनी थी, जो तीन दिनों तक चलती. इस दौरान मुख्य रूप से ब्याज दरों पर फैसला किया जाना था.
आरबीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘29 सितंबर, 30 और एक अक्टूबर, 2020 के दौरान एमपीसी की बैठक होनी थी, जिसे अब टाला जा रहा है. एमपीसी की बैठक की तारीखों की घोषणा जल्द की जाएगी.’’ आरबीआई अधिनियम के अनुसार एमपीसी के बाहरी सदस्यों का कार्यकाल चार वर्ष का होता है.
सरकार ने 2016 में ब्याज दरों को निर्धारित करने की जिम्मेदारी गवर्नर से लेकर छह सदस्यीय एमपीसी को सौंपी थी. आरपीआई गवर्नर की अगुवाई वाली इस समिति में आधे व्यक्ति बाहरी स्वतंत्र सदस्य होते हैं. एमपीसी के तीन बाहरी सदस्यों का चार वर्षीय कार्यकाल पिछले महीने खत्म हो गया था और सरकार द्वारा नई नियुक्ति की जानी बाकी है.
नियमों के मुताबिक एमपीसी की बैठक के लिए कम से कम चार सदस्यों का होना जरूरी है, और गवर्नर या समिति में शामिल डिप्टी गवर्नर की उपस्थिति जरूरी है. ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि एमपीसी आगामी बैठक में ब्याज दरों को यथावत रखने का फैसला कर सकता है, क्योंकि मुद्रास्फीति अभी भी सामान्य से अधिक है.
सरकार ने 2016 में भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के प्रोफेसर चेतन घाटे, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (डीएसई) की निदेशक पमी दुआ और भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद में प्रोफेसर रवींद्र ढोलकिया को चार साल के लिए एमपीसी का स्वतंत्र सदस्य बनाया था. बाहरी सदस्यों का कार्यकाल चार वर्ष है और उनकी दोबारा नियुक्ति नहीं की जा सकती है.
एमपीसी के अन्य पदेन सदस्य रिजर्व बैंक गवर्नर, डिप्टी गवर्नर (मौद्रिक नीति के प्रभारी) और आरबीआई के एक केंद्रीय अधिकारी होते हैं. एमपीसी की बैठक के लिए चार सदस्यों का कोरम होना जरूरी है और सरकार के नए स्वतंत्र सदस्यों की नियुक्ति करने तक यह कोरम पूरा नहीं हो सकता.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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