RBI MPC Meeting: फास्टैग, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (National Common Mobility Card)में अब बैलेंस के तय लिमिट से कम होने पर कस्टमर्स ऑटोमैटिक रूप से इसमें पैसा इसमें डाल सकेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक ने ई-मैंडेट रुपरेखा के तहत इन प्रोडक्ट्स में ऑटोमैटिक पैसा डालने की सुविधा देने का प्रस्ताव दिया है. आरबीआई ने कहा कि इसे लेकर जरूरी गाइडलाइंस जल्द ही जारी किए जायेंगे.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद मीटिंग में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि रेकरिंग पेमेंट ट्रांजैक्शन में ई-मैंडेट से होने वाले भुगतान में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसे देखते हुए फास्टैग, एनसीएमसी (NCMC) आदि में खुद से पैसा डालने की सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है. ई-मैंडेट व्यवस्था के तहत बैंकों को भुगतान के लिए ग्राहक के बैंक खाते से एक निश्चित रकम काटे जाने की अनुमति दी जाती है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ई-मैंडेट के तहत अभी दैनिक, साप्ताहिक, मासिक आदि जैसे निश्चित अवधि वाले भुगतान के लिए तय समय पर ग्राहक के खाते से पैसा अपने आप कट जाता है. अब इसमें ऐसी सुविधाओं को जोड़ा जा रहा है, जिनमें भुगतान जरूरत होने पर किया जाता है. ऐसे में पेमेंट का समय और रकम तय नहीं है. उन्होंने कहा, ई-मैंडेट व्यवस्था के तहत, ऐसे भुगतान के लिए एक ऑटोमैटिक सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव है. जब फास्टैग या एनसीएमसी में शेष रकम ग्राहक द्वारा निर्धारित लिमिट से कम हो जाएगी तो ऑटोमैटिक तरीके से इसमें पैसा ग्राहक से डाल लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे यात्रा या आवाजाही से जुड़े पेमेंट करने में आसानी होगी.
ई-मैंडेट ग्राहकों के लिए आरबीआई द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल पेमेंट सर्विस जिसकी शुरुआत 10 जनवरी, 2020 को की गई थी. आरबीआई के बयान के मुताबिक, मौजूदा ई-मैंडेट ढांचे के तहत ग्राहक के खाते से पैसे निकालने से कम- से-कम 24 घंटे पहले इसकी सूचना देने की आवश्यकता होती है. ई-मैंडेट ढांचे के तहत फास्टैग, एनसीएमसी में ऑटोमैटिक भुगतान के लिए ग्राहक के खाते से किए गए भुगतान के लिए इस आवश्यकता से छूट देने का प्रस्ताव है. आरबीआई ने यूपीआई लाइट को भी ई-मैंडेट के ढांचे के दायरे में लाने का भी प्रस्ताव दिया है.
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