रिजर्व बैंक ने विकास दर का अनुमान घटा कर 6.9% किया
नई दिल्लीः आज भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान किया जिसमें नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया. इसके अलावा भी आरबीआई ने कई ऐलान किए जिनसे देश की आर्थिक हालात कैसी रहने वाली है इसका अनुमान लगाया जा सकता है. इसी कड़ी में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए विकास दर के अनुमान भी दिए हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने चालू वित्त वर्ष 2016-17 के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.1 फीसदी से घटा कर 6.9 फीसदी कर दिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि अप्रैल 2017 से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष में आर्थिक गतिविधियां तेजी से सुधरेंगी और वृद्धि 7.4 फीसदी तक पहुंच जाएगी.
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने द्वैमासिक मौद्रिक नीति समिक्षा में फौरी ब्याज दर रेपो को बिना बदलाव के 6.25 फीसदी के स्तर पर रखा और कहा कि वह महंगाई पर नोटबंदी के असर और उत्पादन में कमी के असर को अभी और भांपना चाहता है.
पर इसी के साथ आरबीआई ने अपने नीतिगत रुख को ‘नरम’ की जगह ‘न्यूट्रल’ कर दिया है. उसके मौद्रिक रुख से दिन में शेयर बाजारों में तेजी गिरावट देखी गयी पर बाद में बाजार संभल गए थे.
अपनी छठी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के वक्तव्य में रिजर्व बैंक ने कहा कि कि 2016-17 में (जीएवी) 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है. वर्ष 2017-18 में विकास दर में तेज सुधार होने और जोखिम संतुलन में रहने के साथ जीएवी के 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है.
आरबीआई ने पिछली समीक्षा में 7 दिसंबर को चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि 7.1 फीसदी और अगले वित्त वर्ष की वृद्धि 7.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. इस लिहाज से इस बार देश के विकास दर में की गई कमी नोटबंदी के एक बड़े असर के रूप में देखी जा सकती है.