नई दिल्लीः रिजर्व बैंक गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में किसी तरह के फेरबदल का नहीं फैसला किया है. इसका मतलब ये हुआ कि कर्ज फिलहाल सस्ते नहीं होने वाले.
बहरहाल, विकास पर चल रही बहस को अब रिजर्व बैंक ने हवा दी है. अपनी ताजा रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने कहा है कि चालू कारोबारी साल यानी 2017-18 के दौरान ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) 7.3 फीसदी के बजाए 6.7 फीसदी रह सकती है. जीवीए, विकास दर मापने का पैमाना है जिसका आकलन सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में टैक्स व सब्सिडी घटाने के बाद किया जाता है.
दूसरी ओर बुरी खबर महंगाई के मोर्चे पर है. केंद्रीय बैंक का कहना है कि राज्स स्तर के सरकारी कर्मचारियों के भत्तों में बढ़ोतरी, खरीफ की पैदावार में कमी की आशंका और किसानों की कर्ज माफी योजना के साथ केंद्र की ओर से स्टीमुल्स देने की संभावनाएं खुदरा महंगाई दर को बढ़ा सकती है.
आऱबीआई के मुताबिक, उपभोक्ता मांग में कमी, निवेश की सुस्त रफ्तार और निर्यात में गिरावट से कुल मांग में कमी आयी. दूसरी ओर जीएसटी की वजह से एक बार मैन्युफैक्चरिंग पर असर पड़ा. बहरहाल, खेती बारी के मोर्चे पर स्थिरता दिख रही है. साथ ही सर्विस सेक्टर में भी कुछ सुधार आया है.
बैंक आगे लिखता है कि खुदरा महगाई दर बढने की आशंका है. अगस्त में ये दर 3.4 फीसदी थी. पहले अनुमान था कि चालू कारोबारी साल यानी 2017-18 की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) के बीच खुदरा महंगाई दर 4 से साढ़े चार फीसदी के बीच रहेगी. लेकिन अब आशंका है कि ये दर 4.2 फीसदी से 4.6 फीसदी के बीच रह सकती है. खुदरा महंगाई दर बढ़ने की आशंका का मतलब ये हुआ कि आगे नीतिगत ब्याज दर में शायद किसी तरह की कमी नहीं हो. वैसे ध्यान देने की बात ये है कि बढ़ोतरी के बावजूद खुदरा महंगाई दर सरकार और रिज्रव बैंक के बीच हुए समझौते के मुताबिक लक्ष्य से कम ही रहेगी. खुदरा महंगाई दर 2 से छह फीसदी के बीच रखने का लक्ष्य है.
रिजर्व बैंक ने कहा
- नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में कोई फेरबदल नहीं.
- नीतिगत ब्याज दर वो दर जिसपर रिजर्व बैंक थोड़े समय के लिए बैंकों को कर्ज देता है.
- अभी नीतिगत ब्याज दर छह फीसदी
- ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) में हो सकती है कमी
- जीवीए, विकास दर मापने का एक तरीका
- जीवीए 7.3 फीसदी के बजाए 6.7 फीसदी रह सकता है
- खुदरा महंगाई दर बढ़ने की आशंका
- सरकारी कर्मचारियों के भत्तों और किसानों की कर्ज माफी से खुदरा महंगाई दर पर असर मुमकिन
- खरीफ फसलों की पैदावार में संभावित कमी से भी खुदरा महंगाई दर पर पड़ सकता है असर
- अगस्त के खुदरा महंगाई दर 3.4 फीसदी से बढ़ोतरी की आशंका
- कारोबारी साल 2017-18 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में खुदरा महंगाई दर 4.2 फीसदी पहुंचने के आसार
- कारोबारी साल 2017-18 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में खुदरा महंगाई दर 4.6 फीसदी पहुंचने के आसार
- कारोबारी साल 2018-19 के दौरान खुदरा महंगाई दर पहली तिमाही के 4.6 फीसदी से तीसरी तिमाही में 4.9 फीसदी पर पहुंच सकती है
- कारोबारी साल 2018-19 की चौथी तिमाही में खुदरा महंगाई दर घटकर 4.5 फीसदी पर आने की उम्मीद
- घरेलू मांग को बढ़ाने के उपायों और टैक्स से कम कमाई का असर सरकारी खजाने के घाटे पर मुमकिन
- कारोबारी साल 2017-18 में अगर घाटा आधा फीसदी बढ़ा तो महंगाई दर में चौथाई फीसदी की बढ़त संभव
RBI ने नहीं दी कर्ज की दरों में राहतः रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं