क्यों हो सकती है कर्ज की दरों में कमी
- बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोओएफएएमल) की रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई का जोखिम अब अपने चरम को छू चुका है.
- सीपीआई (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) आधारित महंगाई दर दिसंबर, 2017 में 5.2 फीसदी पर रहेगी, लेकिन 2018 की पहली छमाही में यह नरम पड़कर 4.5 फीसदी पर आ जाएगी.
- इसके अलावा आस्ट्रेलिया के मौसम ब्यूरो ने अल-नीनो की भविष्यवाणी की है, जिससे अगले साल यानी साल 2018 में दक्षिण पश्चिम मानसून मजबूत होगा. इससे महंगाई के दबाव पर अंकुश लगेगा.
रिसर्च नोट में जताई गई है उम्मीद
बोओएफएएमल के रिसर्च नोट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अप्रैल में नीतिगत दरों में चौथाई फीसदी की कटौती करेगी. रिपोर्ट में इस बात पर हैरानी जताई गई कि एमपीसी ने 6 दिसंबर को नीतिगत दरों में कोई कमी नहीं की और दरें पहले के स्तर पर कायम रखी. यदि उस समय नीतिगत दरों में कटौती होती तो बिजी इंडस्ट्रियल सीजन से पहले कर्ज की दरें कम हो सकती थीं. केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक समीक्षा में रेपो दर को 6 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 5.75 फीसदी पर कायम रखा था.