भारत में आरबीआई का एक मुख्य काम महंगाई पर नियंत्रण है. मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी महंगाई को 4 फीसदी पर काबू रखने को आदर्श स्थिति मानती है. आरबीआई के रिसर्च पेपर में कहा गया है कि 2013 के आखिर तक इन्फ्लेशन टारगेटिंग का ट्रेंड 5 फीसदी तक था. इसके बाद 2019 की पहली तिमाही में इसे 4.1 फीसदी तक लाने में मदद मिली. लेकिन कोविड संक्रमण की वजह से पिछले कुछ महीनों यह छह फीसदी से ऊपर चली गई है.


इनफ्लेशन टारगेटिंग की नीति पर सवाल


रिसर्च में कहा गया है कि अगर इनफ्लेशनरी टारगेटिंग को बढ़ाया जाता है कि इससे मौद्रिक पॉलिसी में ज्यादा खुलापन आता है. इसका नतीजा मुद्रा प्रसार में होता है और इससे महंगाई को काबू करना मुश्किल हो जाता है. आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने 2016 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई दर को 4 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला किया था. इसमें दो फीसदी कमी और बढ़ोतरी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.


यह लक्ष्य पांच साल के लिए तय किया गया था.देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर नवंबर में 6.93 फीसदी पर पहुंच गई थी.  अक्टूबर में यह महंगाई दर 7.6 फीसदी थी. खुदरा महंगाई दर पिछले कुछ महीनों से छह फीसदी से ऊपर चल रही है. इससे आरबीआई के इनफ्लेशन टारगेटिंग नीति पर सवालिया निशान लगने लगे हैं.


Bank holidays in January 2021: जनवरी में 14 दिन बैंकों की होगी छुट्टी, जानिए पूरी लिस्ट


काम की खबर: NHAI ने My Fastag App में जोड़ा नया फीचर, अब पता कर सकेंगे बैलेंस