India Current Account Deficit: व्यापार घाटे में बढ़ोतरी के चलते 2022-23 में जीडीपी का 2% रहा करंट अकाउंट डिफसिट, 2021-22 में रहा था 1.2%
RBI Data: जनवरी से मार्च के चौथी तिमाही में विदेशों में रह रहे भारतीयों से 28.6 बिलियन डॉलर का रेमिटेंस देखने को मिला है एक साल पहले समान तिमाही के मुकाबले 20.8 फीसदी ज्यादा है.
India Current Account Deficit: व्यापार घाटे में बढ़ोतरी के चलते 2022-23 में चालू खाते का घाटा बढ़कर जीडीपी का 2 फीसदी रहा है जबकि 2021-22 में करंट अकाउंट बैलेंस में 1.2 फीसदी का घाटा देखने को मिला था. 2022-23 में 265.3 बिलियन डॉलर व्यापार घाटा देखने को मिला है जो 2021-22 में 189.5 बिलियन डॉलर व्यापार घाटा रहा था जिसके चलते चालू खाते के घाटे में उछाल देखने को मिला है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 में 67 बिलियन डॉलर का करंट अकाउंट डिफसिट रहा है जो 2021-22 में 38.7 बिलियन डॉलर रहा था.
हालांकि चौथी तिमाही में चालू खाते के घाटे में कमी आई है. व्यापार घाटे में कमी और सर्विसेज एक्सपोर्ट में उछाल के चलते भारत के करंट अकाउंट डिफसिट में वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में कमी आई है. पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में चालू खाते का घाटा (Current account deficit ) घटकर 1.3 बिलियन डॉलर या 0.2 फीसदी रहा है. जबकि 2022-23 की तीसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा जीडीपी का 2 फीसदी 16.8 बिलियन डॉलर रहा था. जबकि इसके पहले वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में ये घाटा 13.4 बिलियन डॉलर रहा था.
आरबीआई ने ये डेटा जारी करते हुए कहा है कि तिमाही दर तिमाही करंट अकाउंट डिफसिट में कमी की वजह व्यापार घाटे में गिरावट रही. तीसरी तिमाही में व्यापार घाटा जहां 71.3 बिलियन डॉलर रहा था जो चौथी तिमाही में घटकर 52.6 बिलियन डॉलर रहा है.
डेटा के मुताबिक चौथी तिमाही में शुद्ध विदेशी निवेश 6.4 बिलियन डॉलर रहा है जो तीसरी तिमाही में 2 बिलियन डॉलर रहा था. लेकिन एक वर्ष पहले के 13.8 बिलियन डॉलर से कम है. वहीं 2022-23 में एफडीआई इंफ्लो 28 बिलियन डॉलर रहा है जो 2021-22 के 38.6 बिलियन डॉलर के मुकाबले कम है. 2022-23 की चौथी तिमाही में विदेशी निवेशकों की शेयर बाजार में बिकवाली के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की तरफ से 1.7 बिलियन डॉलर का आउटफ्लो देखने को मिला है. जबकि एक वर्ष पहले 15.2 बिलियन डॉलर का आउटफ्लो देखने को मिला था.
जनवरी से मार्च के चौथी तिमाही में विदेशों में रह रहे भारतीयों से 28.6 बिलियन डॉलर का रेमिटेंस देखने को मिला है एक साल पहले समान तिमाही के मुकाबले 20.8 फीसदी ज्यादा है.
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