Household Savings: 50 साल के निचले स्तर पर आ गई लोगों की बचत, खरगे बोले - अच्छे दिनों की ऐसी लगी चपत
RBI Data: भारत में लोगों की बचत में कमी के लिए महंगाई को जिम्मेदार माना जा रहा है. बीते दो वर्षों से लगातार महंगाई में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
Household Savings At 50 Year Low: भले ही केंद्र की मोदी सरकार इस बात को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही हो कि उसके कार्यकाल के दौरान भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और देश की प्रति व्यक्ति 2014-15 के मुकाबले 2022-23 में दोगुनी बढ़ोतरी के साथ 1,72,000 रुपये हो चुकी है. लेकिन आरबीआई के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारतीयों की घरेलू बचत में लगातार गिरावट आ रही है और ये 50 सालों के निचले स्तर पर जा पहुंची है. सितंबर महीने के लिए आरबीआई ने जो मंथली बुलेटिन जारी किया है उसमें हाउसहोल्ड एसेट और लायबिलिटीज पर रिजर्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट (RBI data on Household Assets and Liabilities) सामने आई है उसके मुताबिक लोगों की घरेलू बचत 2020-21 में जीडीपी के 11.5 फीसदी से वित्त वर्ष 2022-23 में घटकर 5.1 फीसदी पर आ गया है जो चिंता सबब बन चुका है.
बचत पर लगी चपत!
आरबीआई के डेटा के मुताबिक साल 2022-23 के दौरान नेट फाइनेंशियल सेविंग घटकर 5.1 फीसदी रह गई है. देश के जीडीपी के लिहाज से 2022-23 में भारत की नेट सेविंग घटकर 13.77 लाख करोड़ रुपये पर आ गई है ये 50 सालों में सबसे कम है. 2021-22 में ठीक एक साल पहले नेट सेविंग जीडीपी की 7.2 फीसदी रही थी. जाहिर है लोगों की आय घट रही है तो लोग सेविंग से ज्यादा खर्च कर रहे हैं. आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के नागरिकों पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ा है. साल 2022-23 में ये जीडीपी के 5.8 फीसदी तक जा पहुंचा है. एक साल पहले यह 3.8 फीसदी रहा था. यानि अपने खपत को पूरा करने ज्यादा उधार ले रहे हैं.
विपक्ष का सरकार पर हमला
आरबीआई की इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद इसपर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन करगे ने इस डेटा के सामने आने के बाद मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्ववीट किया कि जनता की बचत 50 सालों में सबसे कम हो गई है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अच्छे दिनों में लोगों के बचत को चपत लग रही है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल से भी ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा गया है.
50 सालों में सबसे कम हुई जनता की बचत,
— Mallikarjun Kharge (@kharge) September 20, 2023
मोदी सरकार में “अच्छे दिनों” की ऐसी लगी चपत !
महँगाई द्वारा महालूट, गिरती आमदनी व बढ़ती उधारी, इसका मुख्य कारण हैं।
मोदी सरकार ने न सिर्फ़ एक आम परिवार के घर का बजट बिगाड़ा है, घरेलू बचत कम होना भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद… pic.twitter.com/vPcp8wUa2w
महंगाई ने डाला बचत पर डाका
आरबीआई के मुताबिक साल 2020-21 के मुकाबले 2022-23 के दौरान नेट हाउसहोल्ड एसेट में भारी गिरावट आई है. साल 2020-21 के दौरान हाउसहोल्ड एसेट्स 22.8 लाख करोड़ रुपये थी जो 2021-22 में 16.96 लाख करोड़ रुपये तक गिर गई और साल 2022-23 में 13.76 लाख करोड़ रुपये पर आ गई है. रिपोर्ट से जाहिर है कि कमरतोड़ महंगाई लोगों के बचत पर डाका डाल रहा है.
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