2000 की जगह आरबीआई को छापने चाहिए 200 रुपये के नोट! जानें क्यों
नई दिल्लीः रिजर्व बैंक को 2000 रुपये की जगह 200 रुपये के नोट छापने चाहिए. ये सुझाव एक स्वतंत्र विश्लेषक और सलाहकार रवि अभ्यंकर ने दिया है. अभ्यंकर का दावा है कि 200 रुपये का नोट बाजार में आने से कैश लेन-देन में काफी आसानी होगी. वो अपनी इस दलील को गणित के नियमों पर आधारित बता रहे हैं.
रिजर्व बैंक को 2000 की जगह 200 रुपये का नोट क्यों लाना चाहिए, इस बारे में स्वतंत्र विश्लेषक रवि अभ्यंकर ने मनीलाइफ नाम की वेबसाइट पर एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने अपनी दलील बड़े विस्तार से पेश की है.रवि के मुताबिक दुनिया के ज्यादातर देशों में करेंसी नोट्स और सिक्कों के डिनॉमिनेशन यानी मूल्य गणित की एक खास सीरीज के हिसाब से तय किए जाते हैं. ये सीरीज उन्नीसवीं सदी के इंजीनियर चार्ल्स रेनॉर्ड ने बनाई थी. रवि का दावा है कि इस सीरीज के हिसाब से सिक्के या नोट बाजार में कैश खरीदारी को आसान बनाते हैं.
रेनार्ड सीरीज क्या है? इस सीरीज के नंबर 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500 और 1000 के क्रम में आते हैं. रवि के मुताबिक भारत में भी करेंसी नोट छापने के लिए 1 से 100 तक तो इसी सीरीज का इस्तेमाल होता रहा है. लेकिन 100 के बाद अगला नोट सीधे 500 रुपये का है, जिससे सीरीज में अंतर बढ़ जाता है और लेन-देन में मुश्किल होती है. रवि के मुताबिक अभी 1000 के नोट बंद हैं और 500 के नोट भी बाजार में कम ही हैं. ऐसे में 100 के बाद सीधे 2000 के नोट का नंबर आता है.
रवि अभ्यंकर की दलील है कि बाजार में 100 के बाद सीधे दो हजार का नोट उपलब्धता होना लेन-देन की सहूलियत के लिहाज से बहुत ही खराब स्थिति है. यही वजह है कि अगर नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक 2000 की जगह 200 के नोट ले आता, तो बेहतर होता.