RBI: क्रेडिट पॉलिसी में नहीं बदले रेपो-रिवर्स रेपो रेट, बिटक्वॉइन के खिलाफ भी उठाए सख्त कदम
रिजर्व बैंक गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने एक बार फिर नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया है.
नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ने बिटक्वॉइन यानी वर्चुअल करेंसी को लेकर बड़ा कदम उठाया है. बैंक ने कहा है कि वो ऐसी किसी भी संस्था के साथ संबंध नहीं रखेगा जो इस तरह की आभासी मुद्रा जारी करते हैं या निबटारा करते हैं. इसके साथ ही रिजर्व बैंक की नियामन के दायरे में आने वाली संस्थाओं को तय समय के भीतर बिटक्वॉयन कारोबार से हाथ खींचना होगा.
दूसरी ओर रिजर्व बैंक गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने एक बार फिर नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया है. रेपो रेट वो दर है जिसपर रिजर्व बैंक, बैंको को थोड़े समय के लिए कर्ज मुहैया कराता है.
आइए नजर डालते हैं कि मौद्रिक नीति समिति ने आर्थिक मुद्दों को लेकर और क्या कुछ कहा:
खुदरा महंगाई दर
- चालू कारोबारी साल की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी संभव
- चालू कारोबारी साल की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान खुदरा महंगाई दर 5.1 फीसदी रहने का अनुमान
- फरवरी में खुदरा महंगाई दर घटककर 4.4 फीसदी रह गयी थी
- चालू कारोबारी साल की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान खुदरा महंगाई दर 4.7 फीसदी और तीसरी (अक्टूबर-दिसंबर) व चौथी (जनवरी-मार्च) के दौरान 4.4 फीसदी रहने का अनुमान
- 2019-20 के दौरान खुदरा महंगाई दर 4.5 से 4.6 फीसदी के बीच रहने का अनुमान
विकास दर
विकास दर की रफ्तार बढ़ाने में छह तथ्यों की होगी अहम भूमिका
- छह तथ्यों में जीएसटी से जुड़ी दिक्कतें दूर होना, कर्ज की तेज रफ्तार, आईपीओ बाजार में तेजी, बैंकों को अतिरिक्त पूंजी, विश्व व्यापार में तेजी और बजट में बुनियादी सुविधाओं व ग्रामीण क्षेत्रों पर जोर शामिल है
- 2018-19 में विकास दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान, 2017-18 में विकास दर 6.6 फीसदी के आसार
- 2018-19 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर 7.3 फीसदी, दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में विकास दर 7.4 फीसदी, तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर में) 7.3 फीसदी और चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च में) में 7.6 फीसदी रहने का अनुमान)
खुदरा महंगाई दर और विकास के लिए जोखिम
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव
कच्चे तेल के भाव यदि औसतन 78 डॉलर प्रति बैरल है तो खुदरा महंगाई दर में 30 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी और विकास दर में 10 बेसिस प्वाइंट्स की कमी संभव (बहरहाल, कच्चे तेल के इंडियन बास्केट के भाव यदि औसतन 58 डॉलर प्रति बैरल रहे तो खुदरा महंगाई दर में 30 बेसिस प्वाइंट्स की कमी आ सकती है जबकि विकास दर में 10 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी संभव है.
- वैश्विक विकास दर
- राज्य सरकार के कर्मचारियों का आवास भत्ता
- डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति
- खाद्य पदार्थें की महंगाई दर पर मानसून की बिगड़ी चाल का असर
- सरकार खजाने का घाटा