क्रेडिट कार्ड हों या पर्सनल लोन, बड़ी संख्या में लोग अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इनका सहारा लेते हैं. क्रेडिट कार्ड का तो चलन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है और अब बहुत सारे लोग रोजमर्रा के जीवन में इसका इस्तेमाल करने लग गए हैं. आने वाले दिन इनके लिए मुश्किल होने वाले हैं क्योंकि रिजर्व बैंक ने पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड समेत रिटेल लोन कैटेगरी के उत्पादों के लिए नियमों को कड़ा कर दिया है.


बढ़ गई बैंकों की कैपिटल रिक्वायरमेंट


रिजर्व बैंक ने बैंकों के अनसिक्योर्ड लोन पोर्टफोलियो को लेकर गुरुवार को एक अपडेट जारी किया. इस अपडेट में रिजर्व बैंक ने बताया कि अब बैंकों और एनबीएफसी को उनके अनसिक्योर्ड लोन पोर्टफोलियो के लिए ज्यादा पूंजी अलग रखने की जरूरत होगी. रिजर्व बैंक ने इस कैपिटल रिक्वायरमेंट को अब 25 फीसदी बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया है.


इस नियम में किया गया बदलाव


इसका मतलब हुआ कि अब बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अनसिक्योर्ड लोन को लेकर 125 फीसदी पूंजी अलग रखने की जरूरत पड़ेगी. अभी तक इसके लिए 100 पर्सेंट कैपिटल की जरूरत पड़ती थी. इसे उदाहरण से ऐसे समझ सकते हैं. अभी तक अगर कोई बैंक या एनबीएफसी को एक लाख रुपये का अनसिक्योर्ड लोन देने पर एक लाख रुपये की पूंजी अलग से रखने की जरूरत पड़ती थी. अब एक लाख रुपये के लोन के बदले 1.25 लाख रुपये अलग रखने होंगे.


ऐसे लोन पर नहीं होगा कोई असर


लोन अमूमन दो तरह के होते हैं- सिक्योर्ड लोन और अनसिक्योर्ड लोन. सिक्योर्ड लोन उन्हें कहा जाता है, जिनमें बैंकों या एनबीएफसी के पास लोन के बदले कुछ कोलैटरल रखा जाता है. जैसे गोल्ड लोन, कार लोन, होम लोन, प्रॉपर्टी लोन आदि सिक्योर्ड लोन के उदाहरण हैं. वहीं पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड के मामलों में बैंक या एनबीएफसी के पास कुछ कोलैटरल नहीं होता है, इस कारण इन्हें अनसिक्योर्ड लोन कहते हैं. आरबीआई ने अपने रिलीज में स्पष्ट भी किया है कि प्रावधानों में किए गए बदलाव हाउसिंग, एजुकेशन या व्हीकल लोन पर लागू नहीं होंगे.


आरबीआई ने क्यों की कड़ाई?


अब सवाल उठता है कि आरबीआई ने ऐसा कदम क्यों उठाया, जबकि अर्थव्यवस्था के लिहाज से ज्यादा लोन बंटना यया ज्यादा क्रेडिट कार्ड जारी होना ठीक है? तो इसका जवाब उन रपटों में है, जो बताती हैं कि हालिया समय में अनसिक्योर्ड लोन खासकर पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड के मामले में असामान्य ग्रोथ देखी जा रही है. पिछले साल ओवरऑल लोन ग्रोथ को पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड ने बड़े मार्जिन से पीछे छोड़ दिया था. इसके साथ-साथ पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे रिटेल लोन सेगमेंट में डिफॉल्ट के मामले बढ़े हैं, और समय पर पेमेंट के मामले कम हुए हैं.


इस कारण बैंकों को होगी दिक्कत


रिजर्व बैंक के इस कदम से आने वाले दिनों में लोगों को पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड मिलने में दिक्कतें आ सकती हैं. इसका कारण है कि प्रावधानों को कड़े करने से बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के पास लोन देने के लिए कम पूंजी बचेगी. इसे ऐसे समझते हैं. ऊपर हमने बताया कि अब बैंकों या एनबीएफसी को 1 लाख रुपये का लोन देने पर 1.25 लाख रुपये अलग रखने होंगे, अभी तक 1 लाख रुपये अलग रखने होते थे. मतलब अभी तक लाख रुपये का लोन देने के लिए बैंकों को 2 लाख रुपये की जरूरत होती थी. अब उन्हें लाख रुपये का लोन देने के लिए 2.25 लाख रुपये की जरूरत होगी. स्वाभाविक है, उनके पास पूंजी की कमी होगी और जब कम पूंजी होगी तो वे लोन भी कम बांट पाएंगे.


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