RBI MPC Meeting: कई बार बैंक ग्राहक (Bank Customers) आरटीजीएस (RTGS) और एनईएफटी (NEFT) के जरिए ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करने के दौरान गलत अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. पर जल्द ही बैंक कस्टमर्स की ओर से की जाने वाली ऐसी गलतियां कम हो जाएंगी साथ ही फ्रॉड पर भी लगाम लग जाएगा. भारतीय रिजर्व बैंक ने रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम और नेशनल इलेट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर करने के लिए ट्रांजैक्शन एग्जीक्यूट करने से पहले फंड्स रेमिटर यानि पैसे ट्रांसफर करने वाले उससे पहले रिसीवर यानि बेनिफिशियरी अकाउंट होल्डर के नाम को वेरिफाई कर सकेंगे. आरबीआई ने बेनिफिशियरी अकाउंट नेम लुक-अप फैसिलिटी को शुरू करने का फैसला किया है.
यूपीआई और IMPS में है बेनिफिशियरी के वेरिफिकेशन की सुविधा
मौजूदा समय में जब भी यूपीआई (UPI) या इमीडिएट पेमेंट सर्विस (IMPS) के जरिए पैसे ट्रांसफर करने पर रेमीट्टर ऑफ फंड्स (Remitter of Funds) यानि जो पैसे ट्रांसफर कर रहे हैं उनके पास विकल्प होता है कि वे पेमेंट ट्रांजैक्शन करने से पहले रिसीवर या बेनिफिशियरी के नाम को वेरिफाई करें. लेकिन ये सुविधा आरटीजीएस (Real Time Gross Settlement System) या एनईएफटी (National Electronic Funds Transfer) सिस्टम में उपलब्ध नहीं था.
RTGS-NEFT में बेनिफिशियरी के वेरिफिकेशन होगा संभव
मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक (MPC Committee Meeting) के बाद अपने संबोधन में भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा, अब ये प्रस्ताव है कि रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर के जरिए फंड ट्रांसफर करने के लिए भी यूपीआई (UPI) और आईएमपीएस ( Immediate Payment Service) के समान ऐसी फैसिलिटी शुरू की जाए. आरबीआई गवर्नर ने बताया कि, इस सुविधा के शुरू होने पर रेमीट्टर आरटीजीएस या एनईएफटी के जरिए फंड ट्रासंफर करने से पहले अकाउंट होल्डर के नाम को वेरिफाई कर सकेंगे. इससे गलत खाते में फंड क्रेडिट करने की संभावनाएं कम हो जाएंगी साथ ही फ्रॉड पर भी लगाम लगाया जा सकेगा.
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