हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों पर नकेल कसेगा आरबीआई, गड़बड़ी रोकने के लिए बनेंगे कड़े नियम
हाल के दिनों में कई हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने ग्रुप की कंपनियों को कर्ज देकर हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर में बड़ा संकट खड़ा कर दिया था.
आरबीआई ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है. आरबीआई जो नए नियम प्रस्तावित किए हैं,उनमें ग्रुप की कंपनियों को कर्ज देने या उनमें निवेश करने से जुड़े प्रावधान कड़े किए जाएंगे. इससे हितों का संघर्ष रोका जा सकेगा. इसके अलावा हाउसिंग फाइनेंस की परिभाषा भी बदली जाएगी ताकि सिस्टम में अहम भूमिका निभा रही बड़ी कंपनियों की पहचान हो सके. इससे सरकार इस सेक्टर में गड़बड़ियों को रोक सकेगी.
आरबीआई ने कहा है कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां ग्रुप के रियल एस्टेट में बिजनेस में शामिल हो सकती हैं या फिर अपने ग्रुप के प्रोजेक्ट में घर खरीदने वाले ग्राहकों (रिटेल) को कर्ज दे सकती हैं. ये कंपनियां दोनों में से कोई एक काम कर सकती हैं, दोनों नहीं.
पारदर्शिता लाने के उपायों पर जोर
आरबीआई ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां खुद के स्वामित्व वाले न्यूनतम शुद्ध कोष की अनिवार्यता को दोगुना करके 20 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इसका मकसद हाउसिंग फाइनेंस कंपनी खास कर छोटी कंपनियों के पूंजी आधार को मजबूत बनाना है. आरबीआई ने कहा है कि मौजूदा हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को पूरा करने के लिए एक साल में 15 करोड़ रुपये और दो साल में 20 करोड़ रुपये की सुविधा दी गई है. आरबीआई ने सभी स्टेकहोल्डर्स से 15 जुलाई तक सुझाव मांगे हैं.
दरअसल हाल के दिनों में कई हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने ग्रुप की कंपनियों को कर्ज देकर हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर में बड़ा संकट खड़ा कर दिया था. इससे कई कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई. आरबीआई ने इसे ही ध्यान में रख कर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए कड़े नियम बनाने की तैयारी की है. उम्मीद है इससे हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के प्रोजेक्ट में भी पारदर्शिता आएगी. आरबीआई जल्द ही स्टेकहोल्डर से मिले सुझाव पर अमल कर नियमों को अमली जामा पहना सकता है.