मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी में ब्याज दरों को पहले की तरह ही रखा था, इसका कारण यह था कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में सभी छह सदस्यों ने मुद्रास्फीति (इंफ्लेशन) पर एकमत से चिंता जाहिर की थी. उनमें से चार सदस्यों ने केंद्रीय बैंक की नीति के रुख में 'उदार' से 'तटस्थ' में बदलाव की जरूरत का समर्थन किया था. यह जानकारी बुधवार को जारी एमपीसी बैठक के मिनट्स से मिली है.
आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में चालू वित्त वर्ष की छठी और आखिरी मौद्रिक समीक्षा में अपनी नीति को 'उदार' से 'तटस्थ' बनाते हुए वाणिज्यिक बैंकों (कॉमर्शियल बैंक्स) के लिए अल्पकालिक ऋण (शॉर्ट टर्म लोन) की दरों को यानि कि रेपो रेट में बिना किसी बदलाव के 6.25 फीसदी पर रखा था.
इन मिनट्स में बताया गया है कि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा था, "उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) को चार फीसदी पर रखने के लिए आवश्यक है कि हमें ऐसा दृष्टिकोण अपनाना होगा, जो लक्ष्य को प्राप्त करने के साथ ही स्थायित्व भी सुनिश्चित करे. इसलिए हमें मौद्रिक नीति को 'उदार' से 'तटस्थ' बनाना होगा."
आरबीआई के दो सदस्यों विराल आचार्य और मिशेल पात्रा ने गर्वनर की राय से सहमति जताई थी. वहीं, दो सदस्यों चेतन घाटे और पामी दुआ ने इस राय पर तटस्थता प्रकट की थी.