नई दिल्लीः पीएनबी महाघोटाले में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से पहली प्रतिक्रिया आई है. आरबीआई ने कहा कि नीरव मोदी धोखाधड़ी मामले में उसने गारंटी का सम्मान करते हुए पंजाब नेशनल बैंक को दूसरे बैंकों को भुगतान करने का कोई निर्देश नहीं दिया है. आरबीआई ने इस बात का खंडन किया है कि उसने पीएनबी को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग की शर्ते पूरी करने का आदेश दिया है.


आरबीआई ने कहा कि पीएनबी में 177 करोड़ डॉलर का धोखाधड़ी मामला कर्मचारियों के अपराधपूर्ण व्यवहार से ऑपरेशनल जोखिमों के चलते हुआ है. साथ ही बैंक में आंतरिक नियंत्रण के असफल होने की वजह से इतना बड़ा घोटाला संभव हो सका है. बैंक का तीन स्तर पर जो आडिट होता है उसमें भी अगर चोरी नही पकड़ी जाती तो इसका मतलब है कि बैंक की व्यवस्था में खामी है. लिहाजा उसने पहले ही पीएनबी में नियंत्रण प्रणाली का आकलन शुरू कर दिया है और वह इस बारे में उचित निरीक्षण कार्रवाई करेगा.


दरअसल मीडिया में ऐसी खबरें आ रही हैं कि पीएनबी को आरबीआई ने दूसरे बैंकों को जारी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग की शर्ते पूरी करने को कहा है. हालांकि आरबीआई ने इन खबरों का खंडन किया है. फिलहाल ऐसा कोई आदेश आरबीआई ने जारी नहीं किया है. रिजर्व बैंक ने मीडिया में आई उन खबरों से भी इनकार किया है जिनमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने पीएनबी से कहा है कि वह गारंटी पत्र के तहत दिये गये अपने वचन को पूरा करने और संबंधित बैंकों को भुगतान करे.

पीएनबी घोटाले के खुलासा होने के बाद मुख्य आरोपी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी देश से फरार है. इधर, ईडी ने नीरव मोदी समेत इस घोटाले से जुड़े लागों के ठिकानों पर छापा मारकर 5100 करोड़ रुपये के हीरे जवाहरात जब्त किए हैं. ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मामला दर्ज किया है.

पीएनबी घोटाले में 6 दूसरे बैंक भी शामिल होने की बात कही गई है. इन 6 बैंकों ने पीएनबी के लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के आधार पर ही बैंकों ने नीरव मोदी की कंपनियों को कर्ज दिया था, जिसके आधार पर यूनियन बैंक, एक्सिस बैंक, एसबीआई की विदेशी ब्रांच ने कर्ज दिया. इस तरह कर्ज देने वालों में केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक भी शामिल हैं.