नई दिल्लीः आरडी यानी रिकरिंग डिपॉजिट और एफडी यानी फिक्स्ड डिपॉजिट दोनों ही बैंक की ऐसी स्कीम हैं जहां निवेशकों को सेविंग खातों से ज्यादा ब्याज मिलता है. आरडी और एफडी में मिलने वाला ब्याज आपको सुरक्षित भविष्य का भरोसा दिलाता है. यहां आप जान सकते हैं कि एफडी और आरडी दोनों में से किसमें निवेश करना आपके लिए ज्यादा बेहतर है.


एफडी में एक बार तयशुदा राशि आप निर्धारित समय के लिए निवेश कर सकते हैं वहीं आरडी में थोड़ी-थोड़ी रकम करके आप निवेश कर सकते हैं.


एफडी के फायदे
एफडी में निवेशक को एक बार में निवेश करना होता है और निश्चित अंतराल पर आपको रिटर्न मिल जाता है. निवेशक 7 दिन से लेकर 10 साल तक की अवधि के लिए एफडी में निवेश कर सकते हैं और इसमें अवधि के आधार पर 4 फीसदी से लेकर 8-8.5 फीसदी तक का ब्याज निवेशकों को मिल सकता है. एफडी मैच्योर होने के वक्त निवेशकों को पूरा पैसा ब्याज सहित वापस मिल जाता है.


आरडी के फायदे
नियमित बचत करने के लिहाज से आरडी को ज्यादा बेहतर माना जाता है. हालांकि एफडी और आरडी दोनों पर लगभग एक समान ब्याज दरें मिलती हैं. आरडी में निवेश का सबसे बड़ा फायदा है कि इस खाते में आप 100 रुपये से निवेश शुरू करके अधिकतम 1 साल में 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं. खातों में 5000 रुपये से 10,000 रुपये तक का बैलेंस रखना होता है. आरडी पर ब्याज दरें अक्सर 7.25 फीसदी से लेकर 9 फीसदी तक के बीच हो सकती है. अलग-अलग बैंकों के इंटरेस्ट रेट अलग-अलग हो सकते हैं.


एफडी या आरडी में से क्या है बेहतर
एफडी और आरडी में मुख्य फर्क ये है कि आरडी के जरिए आपको रेगुलर सेविंग हो सकती है और एफडी के जरिए आप एकमुश्त निवेश कर सकते हैं और एकमुश्त अच्छा पैसा हासिल कर सकते हैं. तो जिन्हें एकमुश्त पैसा चाहिए उनके लिए एफडी का विकल्प अच्छा है और जिन्हें रेगुलर अंतराल पर पैसा चाहिए हो तो उनके लिए आरडी का विकल्प अच्छा है.


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