Delhi-NCR में प्रदूषण रोकने के लिए Construction Ban से रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ेगा बुरा असर! लाखों हाउसिंग यूनिट का काम होगा प्रभावित
Real Estate: दिल्ली-एनसीआर में किसी भी हाउसिंग यूनिट कंस्ट्रक्शन का एवरेज टाइम देश के बाकी टॉप-7 शहरों में सबसे बेहतर है. यहां छोटे प्रोजेक्ट को पूरा होने में 6 से 6.5 साल का वक्त लगता है.
Construction Ban in Delhi-NCR: अक्टूबर का महीने शुरू होने के साथ दिल्ली में हवा फिर से जहरीली होने लगी है. ऐसे में प्रदूषण के चरम पर पहुंचने से पहले ही सरकार लगातार बड़े कदम उठा रही है. दिल्ली में वायु प्रदूषण (Air Pollution in Delhi) पर लगाम लगाने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने दिल्ली और एनसीआर के इलाके में बिल्डिंगों के निर्माण पर रोक लगाने का फैसला किया है. कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के इस फैसले के बाद रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ने वाला है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) इलाके में कुल 5.68 लाख हाउसिंग यूनिट का फिलहाल कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. इसमें से 4% हाउसिंग यूनिट की लोकेशन बेहद प्राइम है. ऐसे में कंस्ट्रक्शन पर रोक के बाद रियल एस्टेट सेक्टर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
दिल्ली-NCR प्रोजेक्ट का एवरेज टाइम सबसे बेहतरीन
आपको बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में किसी भी हाउसिंग यूनिट कंस्ट्रक्शन का एवरेज टाइम देश के बाकी टॉप-7 शहरों में सबसे बेहतर है. यह आंकड़ा साल 2010 से लेकर 2022 के बीच कंस्ट्रक्शन के हुए डेटा के ऊपर आधारित है. दिल्ली-एनसीआर में 500 यूनिट से छोटे प्रोजेक्ट को पूरा होने में एवरेट 6 से 6.5 साल का वक्त लगता है.
वहीं 500 यूनिट से अधिक वाले बड़े प्रोजेक्ट को पूरा होने में करीब 7.5 से 8 साल का वक्त लगता है. दिल्ली-एनसीआर के इलाके में सबसे ज्यादा कंस्ट्रक्शन यमुना एक्सप्रेस वे, न्यू गुरुग्राम, नोएडा एक्सप्रेसवे, सेंट्रल नोएडा, सेक्टर-150 नोएडा, ग्रेटर फरीदाबाद राजनगर एक्सटेंशन गाजियाबाद में होता है.
कीमत में क्या होगा असर
जी बिजनेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एनारॉक ग्रुप के सीनियर डायरेक्टर और रिसर्च के हेड प्रशांत ठाकुर ने कहा कि हमारी रिसर्च में यह पता चला है कि दिल्ली और एनसीआर के इलाके में करीब 5.68 लाख हाउसिंग यूनिट के कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. कंस्ट्रक्शन बैन होने के बाद भी इन हाउसिंग प्रोजेक्ट की कीमतों में किसी तरह की बढ़ोतरी दर्ज की जाने की आशंका न के बराबर है. इसका कारण यह है कि बीच-बीच में कंस्ट्रक्शन के काम पर बैन लगता ही रहता है, लेकिन इससे कीमतों पर असर पड़ने की संभावना बहुत कम रहती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह बैन अगर लंबे वक्त तक लगा रहता है तो ऐसे में प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में 3 से 4 महीने का वक्त लग सकता है.
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